भारत का सहकारी मॉडल बना ग्लोबल मिसाल- अमूल पहले, इफको दूसरे नंबर पर

💪 किसानों और महिलाओं की मेहनत को मिला विश्व सम्मान

भारत की दो सहकारी संस्थाएँ बनीं विश्व की शान: अमूल और इफको को मिला ग्लोबल टॉप-10 में पहला और दूसरा स्थान, अमित शाह ने कहा – ‘यह किसानों और महिलाओं के परिश्रम का सम्मान है’

नई दिल्ली-भारत ने वैश्विक सहकारिता के क्षेत्र में नया इतिहास रच दिया है। देश की दो अग्रणी सहकारी संस्थाएँ अमूल (Gujarat Cooperative Milk Marketing Federation Limited – GCMMF) और इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइज़र कोऑपरेटिव लिमिटेड (IFFCO) को दुनिया की शीर्ष दस सहकारी संस्थाओं में क्रमशः पहला और दूसरा स्थान प्राप्त हुआ है। यह रैंकिंग इंटरनेशनल कोऑपरेटिव एलायंस (ICA) द्वारा दोहा (कतर) में आयोजित ICA CM50 सम्मेलन के दौरान जारी की गई।

यह गौरवशाली उपलब्धि भारत के सहकारी मॉडल की सुदृढ़ता, पारदर्शिता और आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हुए परिवर्तन की “सहकार से समृद्धि” की गवाही देती है।

अमित शाह ने दी बधाई, कहा – ‘भारत के लिए गर्व का क्षण’

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर अमूल और इफको दोनों को बधाई दी और इसे भारत के लिए गौरव का पल बताया।
उन्होंने X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा –

“भारत के लिए गर्व का क्षण! अमूल और इफको को विश्व की शीर्ष दस सहकारी संस्थाओं में प्रथम दो स्थान प्राप्त करने पर हार्दिक बधाई। यह अमूल से जुड़ी लाखों महिलाओं के अथक समर्पण और इफको में योगदान देने वाले किसानों के लिए सम्मान है। यह सहकारी संस्थाओं की असीम संभावनाओं का प्रमाण है, जिसे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता के वैश्विक मॉडल में परिवर्तित कर रहे हैं।”

अमित शाह ने यह भी कहा कि यह उपलब्धि भारत के सहकारी आंदोलन के प्रति बढ़ते वैश्विक विश्वास को दर्शाती है।

ग्लोबल रैंकिंग में भारत का दबदबा

इंटरनेशनल कोऑपरेटिव एलायंस (ICA), जिसका मुख्यालय ब्रुसेल्स (Belgium) में स्थित है, दुनिया भर की सहकारी संस्थाओं का प्रतिनिधित्व करता है। इसने EURICSE (European Research Institute on Cooperative and Social Enterprises) के साथ मिलकर “ग्लोबल कोऑपरेटिव मॉनिटर 2025” रिपोर्ट जारी की।

यह रैंकिंग सहकारी संस्थाओं के प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (GDP), राजस्व प्रदर्शन, सामाजिक प्रभाव और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के अनुरूप योगदान के आधार पर तैयार की गई थी।

इस रिपोर्ट में अमूल ने पहला और इफको ने दूसरा स्थान हासिल कर भारतीय सहकारिता की साख को वैश्विक स्तर पर नई ऊँचाई दी है।

अमूल – ‘विश्वास’ और ‘महिलाओं की शक्ति’ का प्रतीक

गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड (GCMMF), जिसे आम तौर पर अमूल के नाम से जाना जाता है, देश के डेयरी क्षेत्र का सबसे बड़ा सहकारी संगठन है।
अमूल से सीधे तौर पर 36 लाख से अधिक दूध उत्पादक किसान, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएँ हैं, जुड़े हुए हैं। यह सामाजिक समावेशन और महिला सशक्तिकरण का एक उत्कृष्ट उदाहरण भी है।

इफको – किसानों के आत्मनिर्भर भारत का स्तंभ

इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइज़र कोऑपरेटिव लिमिटेड (IFFCO), दुनिया की सबसे बड़ी उर्वरक सहकारी संस्था है, जो 36,000 से अधिक प्राथमिक सहकारी समितियों से जुड़ी है।
इफको का योगदान देश की कृषि उत्पादकता बढ़ाने, किसानों को सस्ती दरों पर उर्वरक उपलब्ध कराने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने में अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है।

अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 में मिली बड़ी मान्यता

यह उपलब्धि ऐसे समय आई है जब संयुक्त राष्ट्र (UN) ने “अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025” (International Year of Cooperatives 2025) का समापन समारोह दोहा में आयोजित किया।
इस अवसर पर वैश्विक नेताओं ने एक घोषणापत्र पारित किया, जिसमें सहकारी संस्थाओं को गरीबी उन्मूलन, सामाजिक न्याय, आर्थिक समानता और पर्यावरणीय स्थिरता के महत्वपूर्ण वाहक के रूप में मान्यता दी गई।

भारत का सहकारी मॉडल: आत्मनिर्भरता की दिशा में मिसाल

भारत में सहकारी आंदोलन अब केवल एक आर्थिक मॉडल नहीं रहा, बल्कि यह सामाजिक सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन चुका है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सहकारिता मंत्रालय की स्थापना के बाद से भारत में इस क्षेत्र को नई नीतिगत मजबूती मिली है।

अमूल और इफको की इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि भारत का सहकारी ढाँचा न केवल स्थानीय जरूरतों को पूरा करता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक सशक्त मॉडल के रूप में उभर रहा है।

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