🍃 विशेषज्ञ की सलाह — “अक्टूबर में सिंचाई रोकें, विश्राम दें आम को”

उत्तर भारत के अधिकांश राज्यों—बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और दिल्ली—में इस समय आम के बाग़ानों में एक अजीब दृश्य देखने को मिल रहा है। अक्टूबर के महीने में आम के पेड़ों पर नई पत्तियाँ और टहनियाँ निकल रही हैं। यह दृश्य देखने में भले ही सुखद लगे, पर विशेषज्ञ इसे “खुशखबरी नहीं, बल्कि चेतावनी संकेत” बता रहे हैं।
आम की फसल इस क्षेत्र के किसानों की प्रमुख आय का स्रोत है। सामान्य परिस्थितियों में सितंबर के बाद आम के पेड़ विश्राम या “डॉर्मेंट” अवस्था में चले जाते हैं। जनवरी–फरवरी तक वे फूल आने की जैविक तैयारी करते हैं। लेकिन इस वर्ष कई स्थानों पर देखा गया है कि पेड़ों ने विश्राम काल से पहले ही वृद्धि शुरू कर दी है।
🌡️ मौसम में असामान्य बदलाव: बढ़ता तापमान और आर्द्रता
विशेषज्ञ के अनुसार, यह असामान्य हरियाली जलवायु परिवर्तन का प्रत्यक्ष परिणाम है। सामान्यतः अक्टूबर में तापमान 25°C के आसपास रहना चाहिए, लेकिन इस वर्ष उत्तर भारत में यह 30–34°C के बीच बना हुआ है। साथ ही हवा में 60–70 प्रतिशत तक आर्द्रता बनी हुई है।
ऐसे में जब बीच-बीच में हल्की वर्षा होती है, तो पेड़ों की सुप्त कलियाँ यह समझ बैठती हैं कि बढ़वार का नया मौसम शुरू हो गया है। परिणामस्वरूप पेड़ नई पत्तियाँ और टहनियाँ निकालने लगते हैं। यह पूरी प्रक्रिया पेड़ के प्राकृतिक जैविक चक्र को बिगाड़ देती है।
🧪 मिट्टी और पोषण असंतुलन ने भी बिगाड़ा संतुलन
कई किसान फल तुड़ाई के बाद नाइट्रोजन उर्वरक (जैसे यूरिया) की अधिक मात्रा डाल देते हैं, जिससे पौधों में फूल आने की बजाय पत्तेदार वृद्धि बढ़ जाती है।
डॉ. एस.के. सिंह बताते हैं कि –
> “नाइट्रोजन की अधिकता से पौधे में शाकीय (vegetative) वृद्धि बढ़ जाती है, जबकि पोटाश और सूक्ष्म पोषक तत्वों—जिंक, बोरोन, आयरन आदि—की कमी से पुष्पन की प्रवृत्ति दब जाती है। यह पोषणीय असंतुलन ही अक्टूबर में नई पत्तियाँ निकलने की एक प्रमुख वजह बन जाता है।”
जब पौधे का विश्राम काल टूट जाता है, तो उसका पूरा ऊर्जा-संतुलन बिगड़ जाता है, जो अगले पुष्पन और फलन को सीधे प्रभावित करता है।
💧 सिंचाई का अनुचित प्रबंधन: जड़ों में बनी रहती है नमी
अक्टूबर से दिसंबर का समय आम के पेड़ों के लिए “आराम” का होता है। इस दौरान सिंचाई बंद कर दी जानी चाहिए ताकि पौधे को पर्याप्त विश्राम मिल सके।
लेकिन कई किसान इसी अवधि में बाग़ों में सब्ज़ियाँ या दलहन फसलें उगा लेते हैं। इन फसलों के लिए की गई सिंचाई से आम के पेड़ों की जड़ों तक नमी पहुँच जाती है।
यह नमी पेड़ के चयापचय (metabolism) को फिर से सक्रिय कर देती है, जिससे पौधा यह समझता है कि नया बढ़वार काल शुरू हो गया है। परिणामस्वरूप, अक्टूबर में पेड़ नई पत्तियाँ निकालने लगता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यही अनुचित सिंचाई असामयिक वृद्धि का एक बड़ा कारण बन रही है।
🐛 रोग एवं कीट का छिपा संकेत
कई बार नई पत्तियों का निकलना केवल जलवायु या पोषण कारणों से नहीं होता, बल्कि यह रोग या कीट प्रकोप का भी संकेत हो सकता है।
डॉ. सिंह के अनुसार –
मीलीबग (Drosicha mangiferae) और थ्रिप्स जैसे कीटों के प्रकोप से पत्तियाँ सिकुड़ जाती हैं और गुच्छेदार बन जाती हैं।
“मैंगो मैलफॉर्मेशन” या “विचेस ब्रूम” जैसी फफूंदजनित बीमारियों से भी असामान्य वृद्धि होती है।
बोरोन और जिंक की कमी से पत्तियाँ पीली, मुड़ी हुई और बौनी रह जाती हैं।
ऐसी स्थिति में किसान यह न समझें कि पेड़ हरा-भरा हो रहा है, बल्कि यह किसी गहरी बीमारी या पोषणीय असंतुलन का प्रारंभिक संकेत हो सकता है।
🌸 अगले पुष्पन पर गंभीर असर
अक्टूबर की असामयिक वृद्धि का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव अगले वर्ष के पुष्पन पर पड़ता है। पौधे की पूरी ऊर्जा नई पत्तियाँ बनाने में खर्च हो जाती है, जिससे जनवरी-फरवरी में फूल आने की क्षमता घट जाती है।
विशेषज्ञ के अनुसार, इससे “फ्लश असंतुलन” की स्थिति बन जाती है, जिसमें कुछ टहनियाँ फूल देती हैं जबकि कुछ केवल पत्तियाँ। नतीजतन उत्पादन में 20 से 40 प्रतिशत तक की गिरावट संभव है।
🧑🌾 वैज्ञानिक प्रबंधन के सुझाव
1️⃣ सिंचाई नियंत्रित करें
अक्टूबर से दिसंबर तक बाग़ों में सिंचाई बिल्कुल न करें।
जलनिकास की उचित व्यवस्था रखें ताकि जड़ों में अधिक नमी न रहे।
मल्चिंग से मिट्टी की नमी संतुलित रखें, लेकिन गीलापन न बनने दें।
2️⃣ पोषण संतुलन बनाएँ
सितंबर में फॉस्फोरस (P) और पोटाश (K) प्रधान उर्वरक का प्रयोग करें।
नाइट्रोजन की मात्रा सीमित रखें।
बोरोन (0.2%) और जिंक सल्फेट (0.5%) का छिड़काव करें।
हर दो वर्ष में मिट्टी परीक्षण अवश्य कराएँ।
3️⃣ रोग एवं कीट प्रबंधन
असामान्य टहनियों की छँटाई करें।
कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (0.3%) या मैनकोजेब (0.25%) का छिड़काव करें।
मीलीबग या थ्रिप्स के प्रकोप की स्थिति में इमिडाक्लोप्रिड (0.05%) या डायमेथोएट (0.05%) का प्रयोग करें।
दिसंबर में पेड़ों के तनों पर पॉलीथीन बैंडिंग करें ताकि मीलीबग ऊपर न चढ़ सके।
4️⃣ स्वच्छता और छँटाई
अत्यधिक नई वृद्धि वाली टहनियों की हल्की छँटाई करें।
गिरी हुई पत्तियों और रोगग्रस्त टहनियों को नष्ट करें।
बाग़ में पर्याप्त प्रकाश और वायु संचरण सुनिश्चित करें।
5️⃣ दीर्घकालिक उपाय
ड्रिप सिंचाई, फर्टिगेशन और कवर क्रॉप जैसी जलवायु अनुकूल तकनीकें अपनाएँ।
जैविक खाद (वर्मी कम्पोस्ट) का उपयोग करें।
स्थानीय मौसम पूर्वानुमान के अनुसार सिंचाई और छिड़काव की योजना बनाएं।
🍂 सारांश: चेतावनी के संकेत को समय रहते पहचानें
अक्टूबर में आम के पेड़ों पर नई पत्तियाँ निकलना देखने में भले ही “हरा संकेत” लगे, पर यह वास्तव में पेड़ की असंतुलित जैविक प्रतिक्रिया है।
डॉ. एस.के. सिंह के अनुसार, “यह स्थिति जलवायु परिवर्तन, पोषणीय गड़बड़ी या अनुचित सिंचाई का परिणाम है। यदि किसान इसे समय रहते समझकर सुधारात्मक कदम उठाएँ, तो अगले मौसम में पुष्पन और फलन पर विपरीत प्रभाव से बचा जा सकता है।”
🌱 किसानों के लिए संदेश
“अक्टूबर में नई पत्तियाँ नहीं, विश्राम चाहिए आम को।
यही विश्राम अगले मौसम के मीठे आमों की तैयारी है।”
सौजन्य
प्रो. (डॉ.) एस.के. सिंह
विभागाध्यक्ष, पोस्ट ग्रेजुएट डिपार्टमेंट ऑफ प्लांट पैथोलॉजी एवं नेमेटोलॉजी
पूर्व सह निदेशक (अनुसंधान), डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर, बिहार
📧 संपर्क: sksraupusa@gmail.com