नवोन्मेषी किसान कॉन्क्लेव–2025 का भव्य आयोजन, किसानों को बताया राष्ट्र की रीढ़
चौधरी चरण सिंह को समर्पित आयोजन
कार्यक्रम की शुरुआत चौधरी चरण सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ हुई। वक्ताओं ने उनके भूमि सुधारों, किसान-केंद्रित नीतियों और ग्रामीण भारत को सशक्त बनाने के प्रयासों को स्मरण किया और बताया कि उनके विचार आज भी भारतीय कृषि की दिशा तय करने में मार्गदर्शक हैं।
किसान राष्ट्र-निर्माण की आधारशिला: शिवराज सिंह चौहान
उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को राष्ट्र-निर्माण की आधारशिला बताया। उन्होंने कहा, “अन्न ही ब्रह्म है और अन्नदाता किसान ब्रह्मा, विष्णु और महेश का स्वरूप है।”
उन्होंने किसानों के त्याग, परिश्रम और समर्पण को नमन करते हुए कहा कि भारत आज अन्न, फल, सब्जी और दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भर बन चुका है।
कृषि प्रगति में विज्ञान और तकनीक की अहम भूमिका
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश में अनाज उत्पादन में हुई उल्लेखनीय वृद्धि के पीछे आधुनिक कृषि पद्धतियां, आईसीएआर द्वारा विकसित उन्नत किस्में, वैज्ञानिक खेती और तकनीकी नवाचारों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्होंने एकीकृत कृषि प्रणाली, प्राकृतिक खेती, उर्वरकों व कीटनाशकों के संतुलित उपयोग तथा दलहन एवं तिलहन में आत्मनिर्भरता पर विशेष बल दिया।
किसान सबसे बड़े वैज्ञानिक: भागीरथ चौधरी
कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने चौधरी चरण सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्हें एक ईमानदार और किसान-समर्पित नेता बताया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण को दोहराते हुए कहा कि “राष्ट्र तभी खुशहाल हो सकता है जब उसके अन्नदाता खुशहाल हों।”
उन्होंने कहा कि भारतीय किसान देश के सबसे बड़े वैज्ञानिक हैं, जो जलवायु परिवर्तन और जल संकट जैसी चुनौतियों के बावजूद निरंतर नवाचार कर रहे हैं।
स्मार्ट और डिजिटल कृषि पर जोर
भागीरथ चौधरी ने स्मार्ट कृषि, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डिजिटल एग्रीकल्चर, ड्रोन तकनीक और आधुनिक यंत्रों को कृषि प्रणालियों में एकीकृत करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि विकसित भारत बनने की यात्रा किसानों की शक्ति और आत्मनिर्भरता पर निर्भर करती है।
किसान राष्ट्र के असली रत्न: डॉ. एम.एल. जाट
डेयर सचिव एवं आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. एम.एल. जाट ने किसानों को “राष्ट्र के असली रत्न” बताते हुए कहा कि किसान दिवस केवल प्रतीकात्मक आयोजन नहीं है, बल्कि किसानों की केंद्रीय भूमिका को सम्मान देने का अवसर है। उन्होंने कहा कि किसान “अभ्यास के प्रोफेसर” हैं और उनका अनुभव व फीडबैक आईसीएआर की भविष्य की अनुसंधान नीतियों को दिशा देगा।
विकसित भारत @2047 में किसानों की भूमिका
डॉ. जाट ने “विकसित भारत @2047” के लक्ष्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि एक विकसित भारत तभी संभव है जब किसान सशक्त, समृद्ध हों और अनुसंधान व नवाचार की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से जुड़े हों।
आईएआरआई की नवाचारी पहल की सराहना
आईसीएआर के उप महानिदेशक (फसल विज्ञान) डॉ. डी.के. यादव ने इस आयोजन के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान को बधाई दी। उन्होंने कहा कि ऐसे मंच किसानों के जमीनी नवाचारों को पहचान दिलाने और उन्हें व्यापक स्तर पर अपनाने में सहायक होते हैं।
किसान-केंद्रित नीतियों की विरासत
आईएआरआई के निदेशक डॉ. सी.एच. श्रीनिवास राव ने चौधरी चरण सिंह के दूरदर्शी नेतृत्व को याद करते हुए कहा कि उनकी किसान-केंद्रित नीतियों ने कई पीढ़ियों के किसानों को आत्मनिर्भरता और सतत विकास की दिशा में प्रेरित किया। उन्होंने “इनोवेटिव और फेलो फार्मर” पहल को समयानुकूल और प्रभावी कदम बताया।
किसान नवाचारों पर पुस्तकों का विमोचन
कार्यक्रम के दौरान किसानों के नवाचारों पर आधारित दो महत्वपूर्ण पुस्तकों का विमोचन किया गया, जिनमें देशभर के प्रगतिशील किसानों के सफल प्रयोगों और अनुभवों को संकलित किया गया है।
तकनीकी सत्रों से मजबूत हुआ किसान-वैज्ञानिक संवाद
किसानों के बीच आपसी संवाद और ज्ञान-विनिमय को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न तकनीकी सत्र आयोजित किए गए। इन सत्रों में किसानों ने अपने अनुभव साझा किए और नवाचारों का प्रदर्शन किया, जिससे वैज्ञानिकों और किसानों के बीच संवाद और मजबूत हुआ।
सांस्कृतिक संध्या के साथ समापन
देशभर से आए किसानों, वैज्ञानिकों, कृषि विशेषज्ञों और गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति में यह आयोजन अत्यंत सफल रहा। कार्यक्रम का समापन भारतीय कृषि की जीवंत भावना और सांस्कृतिक विविधता का उत्सव मनाते हुए एक रंगारंग सांस्कृतिक संध्या के साथ हुआ, जिसने किसान दिवस के इस आयोजन को यादगार बना दिया।