छठा अंतर्राष्ट्रीय सस्य विज्ञान कांग्रेस (IAC–2025) सम्पन्न: ग्लोबल वैज्ञानिक विचार–विमर्श ने कृषि के भविष्य की नई दिशा तय की
नई दिल्ली, 26 नवम्बर 2025
नई दिल्ली स्थित पूसा परिसर के एनपीएल ऑडिटोरियम में तीन दिवसीय छठा अंतर्राष्ट्रीय सस्य विज्ञान कांग्रेस (IAC–2025) का भव्य समापन हुआ। भारतीय सस्य विज्ञान सोसाइटी (ISA) द्वारा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR), भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), नेशनल एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज (NAAS) तथा TAAS के सहयोग से आयोजित यह वैश्विक वैज्ञानिक आयोजन 20 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों की सक्रिय सहभागिता के साथ सम्पन्न हुआ।
इस कांग्रेस में देश–विदेश के शीर्ष वैज्ञानिकों, कृषि–नीति विशेषज्ञों, उद्योग जगत के प्रतिनिधियों और युवा शोधकर्ताओं ने भाग लिया। सम्मेलन का उद्देश्य बदलती जलवायु, बढ़ती खाद्य सुरक्षा चुनौतियों, प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण तथा नई प्रौद्योगिकियों के जिम्मेदार उपयोग के माध्यम से भविष्य की कृषि को अधिक टिकाऊ, उत्पादक और किसान–हितैषी दिशा प्रदान करना था।
समापन समारोह: वैश्विक कृषि वैज्ञानिकों की गरिमामय उपस्थिति
समापन समारोह की अध्यक्षता ICRISAT के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने की। मंच पर डॉ. एम.एल. जाट, सचिव डेयर एवं महानिदेशक ICAR; पूर्व DG ICAR डॉ. पंजाब सिंह; CAU झांसी के पूर्व कुलपति डॉ. अरविंद कुमार; ISA के अध्यक्ष डॉ. शांति कुमार शर्मा तथा 6th IAC के संयोजक–सचिव डॉ. एस.एस. राठौर उपस्थित रहे।
समारोह की शुरुआत ISA के अध्यक्ष डॉ. शांति कुमार शर्मा द्वारा सभी अतिथियों, वैज्ञानिकों और प्रतिभागियों के स्वागत के साथ हुई। उन्होंने कहा कि “IAC–2025 ने सस्य विज्ञान के उभरते क्षेत्रों पर अत्यंत उच्च गुणवत्ता वाली चर्चाओं का मंच प्रदान किया है। जलवायु–लचीलापन, डिजिटलीकरण, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, इको–न्यूट्रिशन और नई कृषि शिक्षा मॉडल पर हुए विचार–विमर्श आने वाले दशकों की नीति और शोध दिशा को प्रभावित करेंगे।”
कृषि के भविष्य की रूपरेखा तय
कांग्रेस से उभरी वैज्ञानिक सिफारिशों को संयोजक–सचिव डॉ. एस.एस. राठौर ने विस्तार से प्रस्तुत किया। उनकी रिपोर्ट के अनुसार IAC–2025 ने निम्न प्रमुख क्षेत्रों को महत्वपूर्ण बताया:
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डिजिटल एवं AI–आधारित सस्य विज्ञान: फसल प्रबंधन, सलाह सेवाएँ और जलवायु–आधारित निर्णय–प्रणालियों में AI का व्यापक उपयोग।
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मृदा कार्बन संचयन और जल दक्षता: कृषि भूमि में कार्बन बढ़ाने और जल उपयोग की दक्षता को बढ़ाने हेतु नई तकनीकें।
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प्राकृतिक व पुनर्योजी कृषि: टिकाऊ खेती के लिए इन प्रणालियों को वैज्ञानिक मजबूती प्रदान करने की आवश्यकता।
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लैंगिक–समावेशी कृषि आजीविका: महिलाओं की भूमिका को बढ़ाने के लिए नीति व कार्यक्रमों में बदलाव।
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वन–हेल्थ व इको–न्यूट्रिशन: मानव–पशु–पर्यावरण के एकीकृत दृष्टिकोण को अनुसंधान व विस्तार प्रणाली में शामिल करने की जरूरत।
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युवा–नेतृत्व वाले नवाचार: स्टार्ट–अप आधारित मॉडल, कृषि–प्रौद्योगिकी नए रोजगारों की दिशा खोल सकते हैं।
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क्लाइमेट–स्मार्ट एग्रीकल्चर हब: भारत और अन्य देशों में ऐसे हब स्थापित करने का प्रस्ताव ताकि शोध–लाभ सीधे किसानों तक पहुँच सके।
उन्होंने कहा कि यह सिफारिशें ICAR के शोध कार्यक्रमों, राष्ट्रीय नीति–निर्माण और भारत की कृषि रणनीति—Vision 2050—के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होंगी।
“सिस्टम अप्रोच ही भविष्य की कुंजी”—डॉ. हिमांशु पाठक
समापन संबोधन में ICRISAT महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने कहा कि सस्य विज्ञान को अब “सिस्टम अप्रोच” से देखने का समय है। उन्होंने कहा—
“अलग–अलग क्षेत्रों में किए गए प्रयास भविष्य की जटिल कृषि चुनौतियों का समाधान नहीं कर सकते। जल, मृदा, जैव–विविधता, पोषण और फसल प्रबंधन—इन सभी घटकों को एक व्यापक सिस्टम के रूप में समझना होगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि फसल आनुवंशिक संसाधनों का उपयोग जल, पोषक तत्त्वों, भूमि गुणवत्ता और जैव विविधता के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने IAC–2025 को “कृषि–परिवर्तन की दिशा तय करने वाला ऐतिहासिक मंच” बताया।
“Turning Point Congress” डॉ. एम.एल. जाट
ICAR महानिदेशक डॉ. एम.एल. जाट ने अपने संबोधन में IAC–2025 को भारतीय सस्य विज्ञान का “Turning Point” बताया। उन्होंने कहा—
“हमें भविष्य की कृषि के लिए फ्यूचरिस्टिक एग्रोनॉमी विकसित करनी होगी। कृषि में डेटा–आधारित निर्णय प्रणाली, AI–enabled advisories, सटीक प्रबंधन तकनीकें और जलवायु–स्मार्ट मॉडल को अपनाना समय की आवश्यकता है।”
उन्होंने आश्वस्त किया कि IAC–2025 की सभी महत्वपूर्ण सिफारिशों को ICAR अपने दीर्घकालिक शोध कार्यक्रमों और Vision–2050 में प्राथमिकता देगा।
वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने बताया—ऐतिहासिक आयोजन
पूर्व DG ICAR डॉ. पंजाब सिंह ने कहा कि IAC–2025 ने सस्य विज्ञान की दिशा बदलने की क्षमता दिखाई है। उनके अनुसार, “इतने व्यापक वैज्ञानिक विमर्श से देश को नई नीतिगत प्रेरणाएँ मिलेंगी।”
डॉ. अरविंद कुमार ने कहा कि इस कांग्रेस ने युवा वैज्ञानिकों, नीति विशेषज्ञों और किसानों को एक साझा मंच पर लाकर उपयोगिता और प्रभावशीलता के नए मानक स्थापित किए हैं।
कांग्रेस का व्यापक प्रभाव: कृषि के भविष्य के लिए ठोस रोडमैप
कार्यक्रम के अंत में ISA और ICAR–IARI द्वारा सभी सहयोगी संस्थाओं, वैज्ञानिकों, वक्ताओं तथा विद्यार्थियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया गया।
छठा अंतर्राष्ट्रीय सस्य विज्ञान कांग्रेस (IAC–2025) अपने आप में एक ऐतिहासिक आयोजन रहा। इसने न केवल कृषि वैज्ञानिकों को नई अंतर्दृष्टि प्रदान की बल्कि भविष्य की जलवायु–स्मार्ट, डेटा–समर्थित और समाज–केंद्रित खेती की एक स्पष्ट और व्यावहारिक रूपरेखा भी प्रस्तुत की।
यह आयोजन भारतीय कृषि अनुसंधान और नीति–निर्माण को नई गतिशीलता प्रदान करता है और आने वाले वर्षों में देश की कृषि व्यवस्था के लिए एक मजबूत मार्गदर्शक दस्तावेज के रूप में याद किया जाएगा।