वेरावल में नए EEZ नियमों पर मत्स्य सर्वेक्षण विभाग ने किया जागरूकता कार्यक्रम

समुद्र की सुरक्षा और मछुआरों की आजीविका—दोनों पर फोकस! 🌊

वेरावल, गुजरात। भारत सरकार के फ़िशरी सर्वे ऑफ़ इंडिया (FSI) ने मत्स्य पालन विभाग के सहयोग से वेरावल में नए विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) नियमों पर विस्तृत जागरूकता एवं संवेदनशीलता कार्यक्रम आयोजित किया। इस कार्यक्रम में गुजरात के 65 और दीव के 15 प्रतिभागियों सहित कुल 80 सक्रिय मछुआरे, जिनमें मैकेनाइज़्ड और मोटराइज़्ड बोट मालिक शामिल थे, मौजूद रहे।

कार्यक्रम का उद्देश्य मछुआरों को EEZ के अद्यतन नियमों, सुरक्षा मानकों और टिकाऊ मत्स्य संसाधन प्रबंधन की दिशा में सरकार द्वारा किए गए प्रयासों की जानकारी देना था।

🔹 विशेषज्ञों की जानकारी

इस अवसर पर फ़िशरी वैज्ञानिक डॉ. मानस कुमार सिन्हा ने नए EEZ नियमों पर विस्तृत प्रस्तुति दी। उनकी प्रस्तुति में नियमों के कानूनी प्रावधान, संचालन के तरीके, समुद्री सुरक्षा दिशानिर्देश, और उल्लंघन की स्थिति में संभावित दंड जैसे महत्वपूर्ण बिंदु शामिल थे।
डॉ. सिन्हा ने मछुआरों द्वारा पूछे गए सभी प्रश्नों का विस्तार से उत्तर देते हुए यह स्पष्ट किया कि नए नियम तटीय समुदायों की सुरक्षा और समुद्री पारिस्थितिकी संरक्षण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

🔹 समुदाय का समर्थन

कार्यक्रम के दौरान मछुआरा समुदाय ने भारत सरकार की पहल की सराहना की और विशेष रूप से लाइट फिशिंग, अवैध जालों और विनाशकारी मछली पकड़ने के तरीकों पर तुरंत और कड़ी कार्रवाई की मांग रखी।
मछुआरों ने कहा कि इन अवैध गतिविधियों के चलते समुद्री संसाधनों का क्षरण हो रहा है और वैध रूप से कार्य करने वाले मछुआरों की आजीविका प्रभावित होती है। इसलिए EEZ नियमों का सख्त एवं पारदर्शी तरीके से प्रवर्तन बेहद आवश्यक है।

🔹 डिजिटलीकरण की दिशा में कदम

एक और महत्वपूर्ण सुझाव के रूप में समुदाय ने एकीकृत सिंगल विंडो सिस्टम लागू करने की मांग की, जिससे एक्सेस पास आवेदन और रियलक्राफ्ट लाइसेंस की प्रक्रिया को डिजिटल रूप से सरल एवं पारदर्शी बनाया जा सके।
मछुआरों ने कहा कि इससे न केवल समय की बचत होगी, बल्कि अनावश्यक औपचारिकताओं और देरी में भी कमी आएगी। यह व्यवस्था प्रशासनिक सुधार और पारदर्शिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

FSI ने दी आश्वासन

FSI ने कार्यक्रम के अंत में कहा कि वह सतत मत्स्य प्रबंधन, संसाधनों के संरक्षण, और तटीय समुदायों की आजीविका सुरक्षा के लिए निरंतर कार्यरत है। संस्था ने भविष्य में भी ऐसे संवाद कार्यक्रम आयोजित करने की प्रतिबद्धता जताई।


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