🌾 किसानों की खुशहाली ही विकास का आधार : मुख्यमंत्री डॉ. यादव
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि “हमारे किसान भाई ही मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। किसानों का कल्याण सर्वोपरि है, और सरकार का हर निर्णय उनके हित में लिया जा रहा है।”
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार किसानों की आय दोगुनी करने और उनकी माली स्थिति सुदृढ़ करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। भावांतर योजना किसानों को खुले बाजार के उतार-चढ़ाव से सुरक्षा प्रदान करती है और यह योजना किसान हित में सरकार की बड़ी पहल है।
मुख्यमंत्री अपने निवास पर ‘सोयाबीन पर भावांतर भुगतान’ के उपलक्ष्य में आयोजित किसान आभार सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे, जिसमें भोपाल और नर्मदापुरम संभाग के 3 हजार से अधिक किसान शामिल हुए।
💧 “सूखे खेत को पानी मिल जाये, तो फसल सोना बन जाती है”
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि “खेती के लिए जल अमृततुल्य है। हमारी सरकार हर खेत तक पानी पहुंचाने का संकल्प लेकर काम कर रही है।”
उन्होंने बताया कि प्रदेश में तीन बड़ी नदी जोड़ो परियोजनाएं — पार्वती-कालीसिंध-चंबल, केन-बेतवा और ताप्ती मेगा रिचार्ज — किसानों को सिंचाई के लिए स्थायी जल उपलब्ध कराने की दिशा में क्रांतिकारी कदम हैं।
प्रदेश में अब तक 52 लाख हेक्टेयर क्षेत्र सिंचित हो चुका है और लक्ष्य 100 लाख हेक्टेयर रकबा सिंचित करने का है।
☀️ किसान बने ऊर्जादाता – सोलर पंप पर 90% सब्सिडी
डॉ. यादव ने कहा कि “मध्यप्रदेश के अन्नदाता अब ऊर्जादाता बन रहे हैं।”
राज्य सरकार किसानों को 90% अनुदान पर सोलर पंप प्रदान करेगी। पहले यह सब्सिडी 40% थी।
उन्होंने कहा कि किसानों को विद्युत पंप से एक स्टेप अधिक क्षमता का सोलर पंप दिया जाएगा — यानी 3 HP वाले किसान को 5 HP और 5 HP वाले किसान को 7.5 HP का सोलर पंप मिलेगा।
अब तक 32 लाख सोलर पंप किसानों को दिए जा चुके हैं। किसान अतिरिक्त बिजली भी सरकार को बेच सकेंगे।
🌱 मध्यप्रदेश बना देश का ‘फूड बास्केट’
मुख्यमंत्री ने कहा कि “किसानों की मेहनत से प्रदेश की जीडीपी में कृषि का योगदान 39% से अधिक है।”
उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश आज देश में सोयाबीन स्टेट, मिलेट्स स्टेट, मसाला स्टेट, लहसुन स्टेट और संतरा स्टेट के रूप में प्रसिद्ध है।
राज्य खाद्यान्न, दलहन, तिलहन, फलों, सब्जियों, मसालों और औषधीय पौधों के उत्पादन में अग्रणी बन चुका है।
💰 भावांतर योजना बनी किसानों की सुरक्षा कवच
डॉ. यादव ने कहा कि भावांतर योजना सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि सरकार और किसानों के बीच विश्वास का रिश्ता है।
राज्य में पहली बार सोयाबीन की फसल को भावांतर योजना के दायरे में लाया गया है। पहले जहां किसान समर्थन मूल्य से कम पर फसल बेचने को विवश थे, अब सरकार बाजार भाव और समर्थन मूल्य के अंतर की राशि सीधे किसानों के खाते में जमा करेगी।
उन्होंने कहा, “हमारा संकल्प है कि किसान का पसीना सूखने से पहले उसका हक उसके हाथ में पहुंचे।”
🪔 सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत से जुड़ा संदेश
मुख्यमंत्री ने सभी गोपालक किसानों से गोवर्धन पूजा धूमधाम से मनाने का आह्वान किया।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार शासकीय स्तर पर गोवर्धन पूजा मनाएगी।
साथ ही उन्होंने राम वन गमन पथ और भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े तीर्थ स्थलों के विकास की जानकारी दी।
मुख्यमंत्री ने सांस्कृतिक प्रस्तुति देने वाले कलाकारों को ₹5000 प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा की।
📜 भावांतर योजना की प्रक्रिया और लाभ वितरण
कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि भावांतर योजना के अंतर्गत सोयाबीन किसान 24 अक्टूबर 2025 से 15 जनवरी 2026 तक अपनी उपज मंडियों में बेच सकेंगे।
फसल विक्रय के बाद मात्र 15 दिनों के भीतर भावांतर की राशि सीधे किसानों के बैंक खातों में जमा की जाएगी।
सोयाबीन का समर्थन मूल्य ₹5328 प्रति क्विंटल तय किया गया है, और पंजीयन की प्रक्रिया 17 अक्टूबर तक पूर्ण हो चुकी है।
👥 सम्मेलन में जनप्रतिनिधियों के विचार
कृषि मंत्री एदल सिंह कंषाना ने कहा कि भावांतर योजना किसानों के लिए वरदान साबित होगी।
प्रदेशाध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने बताया कि सरकार किसानों को सम्मान निधि और मुआवजा प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार के साथ समन्वय में कार्य कर रही है।
सांसद दर्शन सिंह चौधरी ने कहा कि “डॉ. यादव के नेतृत्व में किसानों को 175 रुपये बोनस और अब सोयाबीन पर भावांतर योजना का लाभ मिल रहा है।”
📸 सम्मेलन में उमड़ा किसानों का उत्साह
कार्यक्रम में भोपाल, नर्मदापुरम, सीहोर, रायसेन, राजगढ़ और विदिशा जिलों के 3 हजार से अधिक किसान शामिल हुए।
मुख्यमंत्री का किसान संगठनों ने पगड़ी, हल, गदा और गजमाला से आत्मीय स्वागत किया।
मुख्यमंत्री निवास परिसर किसान आभार के जयघोष से गूंज उठा।