एनएमपीबी की योजना से 9 राज्यों के 2000+ किसान लाभान्वित
राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड ने देशभर में औषधीय पौधों की आपूर्ति श्रृंखला को सशक्त बनाने के लिए 9 परियोजनाएं कीं स्वीकृत, आदिवासी जिलों को मिला विशेष महत्व
नई दिल्ली, औषधीय पौधों के संरक्षण, विकास और उनके सतत प्रबंधन को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से आयुष मंत्रालय के तहत कार्यरत राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (एनएमपीबी) देशभर में एक केंद्रीय क्षेत्र योजना का संचालन कर रहा है। इस योजना का उद्देश्य औषधीय पौधों की खेती से जुड़े ‘आपूर्ति श्रृंखला में अग्रगामी और पश्चगामी संपर्क’ को मजबूत करना है, ताकि किसान सीधे लाभान्वित हो सकें और बाजार तक उनकी पहुंच सशक्त बन सके।
इस योजना के अंतर्गत विभिन्न गतिविधियों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है, जिसमें गुणवत्ता युक्त रोपण सामग्री हेतु संरचना का विकास, किसानों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए सूचना, शिक्षा एवं संचार (IEC) कार्यक्रम, उपरांत-संग्रहण प्रबंधन एवं विपणन के लिए अवसंरचना निर्माण, कच्चे औषधीय उत्पादों की गुणवत्ता परीक्षण और प्रमाणन जैसे कार्य शामिल हैं।
देशभर में 09 परियोजनाओं को स्वीकृति
एनएमपीबी ने ‘आपूर्ति श्रृंखला में अग्रगामी और पश्चगामी संपर्क’ योजना के तहत अब तक कुल 09 परियोजनाओं को स्वीकृति दी है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में जिन राज्यों को यह सहायता दी गई उनमें आंध्र प्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर, मिजोरम और उत्तराखंड शामिल हैं। वहीं 2024-25 में यह सहायता गुजरात, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु को दी गई है।
2000 से अधिक किसानों को मिला सीधा लाभ
इन परियोजनाओं के माध्यम से दो वर्षों में कुल 2006 किसानों, जिनमें बड़ी संख्या में आदिवासी किसान शामिल हैं, को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान की गई। वर्ष 2023-24 में 371 और 2024-25 में 1635 किसानों को लाभ पहुंचाया गया।
राज्यवार विस्तृत जानकारी
वित्तीय वर्ष 2023-24
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आंध्र प्रदेश (अल्लूरी सीताराम राजू व पर्वतिपुरम मन्यम): 103 किसान
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जम्मू-कश्मीर (कुपवाड़ा, राजौरी): 24 किसान
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मिजोरम (सर्चीप्स): 145 किसान
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उत्तराखंड (चमोली, बागेश्वर, पिथौरागढ़, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग): 99 किसान
कुल लाभार्थी: 371 किसान
वित्तीय वर्ष 2024-25
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गुजरात (अमरेली): 900 किसान
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कर्नाटक (उडुपी, दक्षिण कन्नड़): 41 किसान
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केरल (त्रिशूर): 144 किसान, मध्य प्रदेश (खंडवा): 500 किसान, तमिलनाडु (कोयंबटूर): 50 किसान
कुल लाभार्थी: 1635 किसान
महिलाओं के लिए आय के अवसर, स्थानीय रोजगार का सृजन
इन परियोजनाओं के तहत स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन भी किया गया। नर्सरी विकास हेतु पॉलीपॉट भरने जैसे कार्यों में स्थानीय महिलाओं को शामिल किया गया, जिससे उन्हें स्वरोजगार और अल्पकालिक आय का लाभ मिला। इसके अतिरिक्त ग्रामीण संग्रहण केंद्रों के निर्माण के लिए स्थानीय कुशल और अकुशल श्रमिकों को भी रोजगार मिला।
MIDH योजना के तहत वित्तीय सहायता का प्रावधान
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के “मिशन फॉर इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ हॉर्टीकल्चर (MIDH)” के अंतर्गत औषधीय पौधों के क्षेत्र विस्तार हेतु ₹1.5 लाख प्रति हेक्टेयर लागत पर वित्तीय सहायता दी जाती है।
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सामान्य क्षेत्रों में: 40% तक सहायता
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पूर्वोत्तर, हिमालयी, अनुसूचित और द्वीप क्षेत्रों में: 50% तक सहायता
इस सहायता में रोपण सामग्री, एकीकृत पोषक प्रबंधन (INM) और कीट प्रबंधन (IPM) आदि लागतें शामिल हैं।
वन उपज के प्रसंस्करण व विपणन में भी मिल रहा सहयोग
जनजातीय कार्य मंत्रालय के अधीन कार्यरत ट्राइफेड (TRIFED) द्वारा प्रधानमंत्री जनजातीय विकास मिशन (PMJVM) एवं प्रधानमंत्री जनजातीय न्याय अभियान (PM JANMAN) के अंतर्गत आदिवासी समुदायों द्वारा संग्रहीत वन व कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण, मूल्यवर्धन व विपणन को भी सहयोग प्रदान किया जा रहा है।
ग्रामीण स्तर पर समावेशी विकास को बल
इन सभी पहलों का उद्देश्य केवल औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देना ही नहीं, बल्कि ग्रामीण व आदिवासी समुदायों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना है। इससे न केवल उनकी आय में वृद्धि हो रही है, बल्कि पर्यावरणीय संरक्षण और स्थानीय जैव विविधता को भी बल मिल रहा है।
संसदीय जानकारी
यह जानकारी आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रतापराव जाधव ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर के माध्यम से साझा की।
चित्र: AI