कृषि में क्रांति की ओर बढ़ता कश्मीर!

शिवराज सिंह ने देखा सेब का जादू, किसानों से सीधा संवाद

श्रीनगर/नई दिल्ली— केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को जम्मू-कश्मीर की अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी, कश्मीर (एसकेयूएएसटी-के) के शालीमार परिसर में बागवानी अनुसंधान एवं प्रदर्शन ब्लॉक का दौरा किया।

इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री ने सेब की उच्च उपज वाली किस्म, ओलावृष्टि सुरक्षा जाल, छंटाई की वैज्ञानिक तकनीकें और जल-पोषण प्रबंधन प्रणाली जैसी अत्याधुनिक पद्धतियों का निरीक्षण किया। उन्होंने इन तकनीकों को अपनाने वाले किसानों से संवाद भी किया, जिन्होंने अपनी बढ़ी हुई आय और उत्पादकता को साझा किया।

चौहान ने छात्रों द्वारा प्रदर्शित बागवानी उत्पादों – सेब, खुबानी, अखरोट, बादाम और जामुन – और फसलोत्तर नवाचार जैसे कोल्ड स्टोरेज समाधानों की सराहना की। उन्होंने एसकेयूएएसटी-कश्मीर को कृषि नवाचार व शिक्षा का सशक्त केंद्र बताया।

हितधारकों से हुआ खुला संवाद

बाद में मंत्री ने किसानों, मधुमक्खी पालकों, कोल्ड स्टोरेज संचालकों और नर्सरी ऑपरेटरों के साथ खुली चर्चा की। इस दौरान हितधारकों ने प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण, जीआई टैगिंग, सब्सिडी योजनाएं और उच्च घनत्व बागवानी को लेकर केंद्र सरकार के प्रयासों की सराहना की।

किसानों की मांगें व सुझाव:

  • केसर उत्पादकों ने सिंचाई सुधार व जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु संस्थागत सहयोग की मांग की।

  • मधुमक्खी पालकों ने बीमा योजना, कर्ज सुविधा और कीटनाशकों पर नियंत्रण की आवश्यकता जताई।

  • सेब उत्पादकों ने मौसम परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग व महंगे इनपुट पर चिंता जताई।

  • कोल्ड स्टोरेज संचालकों ने मूल्य स्थिरता, अधिक सब्सिडी व प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण की मांग रखी।

  • नर्सरी ऑपरेटरों ने रोपण सामग्री के लिए बेहतर लॉजिस्टिक्स व रेल-नीति की अपील की।

“कृषि सेवा है, शासन नहीं” – शिवराज सिंह चौहान 

किसानों से संवाद में  चौहान ने कहा, “किसानों और हितधारकों से जुड़ना प्रशासनिक कार्य नहीं, बल्कि राष्ट्रसेवा है। सरकार ‘बीज से शेल्फ तक’ किसानों के साथ खड़ी है।” उन्होंने कहा कि कृषि नीति का मूल उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना है।

उन्होंने छोटे किसानों के लिए नवाचार, अनुसंधान व आईसीएआर के वैज्ञानिकों की खेतों में सक्रियता की आवश्यकता बताई। रोगमुक्त पौध सामग्री, निजी नर्सरी को सब्सिडी और HADPL जैसी संस्थाओं को समर्थन देने की योजनाएं भी घोषित कीं।

मंत्री ने बताया कि जम्मू-कश्मीर को बागवानी हब बनाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। इसमें स्थानीय उत्पादन की सुरक्षा, आयात शुल्क का संतुलन, निर्यात ढांचा, रेलवे कनेक्टिविटी और कीटनाशकों की गुणवत्ता नियंत्रण को प्राथमिकता दी जाएगी।

चौहान ने कीटनाशकों की गुणवत्ता पर निगरानी और मिलावटी उत्पादों पर कड़ी कार्रवाई की घोषणा भी की। उन्होंने कहा कि किसानों को उनकी मेहनत का लाभ मिलना चाहिए, इसके लिए मूल्य संरचना में पारदर्शिता जरूरी है।

“जनसेवा का अर्थ ज़मीन पर बदलाव” – मंत्री का भावुक संदेश

अपने समापन वक्तव्य में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि “मेरा फोन हर किसान के लिए हमेशा खुला है। जनसेवा तभी सार्थक है जब वह किसानों की ज़िंदगी में सकारात्मक बदलाव लाए।”

यह दौरा जम्मू-कश्मीर में कृषि व बागवानी क्षेत्र के विकास, किसानों की आय बढ़ाने और सतत एवं समावेशी विकास को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

Leave a Comment