20 साल के अध्ययन ने दिखाया मूंगफली पैदावार में बड़ी छलांग!

अब डेटा, जीनोमिक्स और AI के मेल से तैयार होंगी “ब्रेकथ्रू मूंगफली किस्में”

हैदराबाद,अंतरराष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान (ICRISAT) ने मूंगफली की पैदावार बढ़ाने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। संस्थान द्वारा किए गए नवीनतम अध्ययन में यह स्पष्ट हुआ है कि बीते 15 से 20 वर्षों में आईसीआरआईसैट की मूंगफली प्रजनन तकनीक (Groundnut Breeding Program) के माध्यम से विकसित किस्मों में उपज (Yield) में निरंतर वृद्धि दर्ज की गई है।

अध्ययन में ‘जिनेटिक गेन असेसमेंट’ (Genetic Gain Assessment) के जरिए यह आकलन किया गया कि किस प्रकार आईसीआरआईसैट द्वारा विकसित मूंगफली की किस्में पारंपरिक किस्मों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं। शोध में पाया गया कि इन किस्मों की उत्पादकता, गुणवत्ता और प्रतिरोध क्षमता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

🔹 उपज में निरंतर सुधार

चित्र: प्रतीकात्मक

शोधकर्ताओं ने पिछले दो दशकों के आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए बताया कि आईसीआरआईसैट द्वारा विकसित किस्मों ने विभिन्न agro-climatic परिस्थितियों में स्थिर और बेहतर उपज दी। इससे किसानों को न केवल अधिक उत्पादन मिला बल्कि जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों से निपटने में भी मदद मिली।

अध्ययन में यह भी सामने आया कि शेलिंग प्रतिशत (Shelling Percentage) — यानी फली से निकले दानों का अनुपात — में भी सुधार की संभावनाएं हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, इस गुण को और बेहतर बनाकर मूंगफली की बाजार क्षमता और पोषण मूल्य में वृद्धि की जा सकती है।

🔹 डॉ. जनीला पसुपुलेटी का बयान

आईसीआरआईसैट की प्रधान वैज्ञानिक (Principal Scientist – Groundnut Breeding) डॉ. जनीला पसुपुलेटी ने बताया कि,
“अध्ययन के परिणाम यह दर्शाते हैं कि बीते दो दशकों में मूंगफली प्रजनन कार्यक्रम में निरंतर सुधार हुआ है। हालांकि, अब भी हमें आधुनिक तकनीकों जैसे कंप्यूटेड टोमोग्राफी (CT) और जीनोमिक चयन (Genomic Selection) को breeding प्रक्रिया में अधिक प्रभावी ढंग से शामिल करने की आवश्यकता है, ताकि हम सटीकता और गति दोनों में सुधार कर सकें।”

उन्होंने कहा कि आईसीआरआईसैट का प्रयास अब डेटा-आधारित प्रजनन दृष्टिकोण (Data-driven Breeding Approach) को अपनाने पर केंद्रित है, जिसमें आधुनिक फीनोटाइपिंग, डेटा एनालिटिक्स और मशीन लर्निंग जैसी तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है।

🔹 भविष्य की दिशा: ‘ब्रेकथ्रू मूंगफली किस्में

संस्थान के अनुसार, नई रणनीति का उद्देश्य ऐसी “ब्रेकथ्रू मूंगफली वैरायटीज़” विकसित करना है जो न केवल उच्च उत्पादकता वाली हों बल्कि पोषण की दृष्टि से भी श्रेष्ठ हों। इन किस्मों में कीटों, रोगों और सूखे जैसी प्रतिकूल परिस्थितियों से लड़ने की क्षमता अधिक होगी।

आईसीआरआईसैट का मानना है कि इस तरह की उन्नत किस्में किसानों की आय बढ़ाने, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और जलवायु परिवर्तन से निपटने में अहम भूमिका निभा सकती हैं।

🔹 वैज्ञानिक नवाचार से कृषि में नया युग

ICRISAT का यह शोध न केवल मूंगफली उत्पादन में सुधार का संकेत देता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे आधुनिक बायोटेक्नोलॉजी, डेटा साइंस और जीनोमिक्स कृषि अनुसंधान के स्वरूप को बदल रहे हैं। संस्थान का यह मॉडल भविष्य की कृषि नीति और फसल सुधार कार्यक्रमों के लिए एक उदाहरण बन सकता है।

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