फसल बीमा और SHG लोन पर शिवराज सिंह की बड़ी बैठक!

16 से 30 अगस्त: देशभर में चलेगा फसल बीमा महाअभियान

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की बैंकों और राज्यों के साथ अहम बैठक
फसल बीमा में अधिक नामांकन और महिला स्वयं सहायता समूहों को अधिक ऋण देने पर दिया विशेष जोर

नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के अंतर्गत खरीफ सीजन में अधिक किसानों को शामिल करने और महिला स्वयं सहायता समूहों (Self Help Groups – SHGs) को अधिक वित्तीय सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से मंगलवार को बैंकों और राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों के साथ वर्चुअल बैठक की।

बैठक में श्री चौहान ने स्पष्ट रूप से निर्देश दिए कि 16 से 30 अगस्त तक देशभर में फसल बीमा नामांकन अभियान चलाया जाए, ताकि ज्यादा से ज्यादा किसानों को योजना के दायरे में लाया जा सके। उन्होंने कहा कि इस अभियान के माध्यम से किसानों को प्राकृतिक आपदाओं और जोखिमों से बचाने के लिए आर्थिक सुरक्षा कवच प्रदान किया जाएगा

महिला SHG को ऋण देने में तेजी लाने पर जोर

केंद्रीय मंत्री ने बैंकों से आग्रह किया कि वे महिला स्वयं सहायता समूहों को अधिक लोन देने पर विशेष फोकस करें, खासकर दूरदराज और दुर्गम क्षेत्रों में। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में विकसित भारत के निर्माण का अभियान चल रहा है, और इसमें ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक भागीदारी को बढ़ाना बेहद जरूरी है।

चौहान ने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के तहत 90.90 लाख SHGs सक्रिय हैं, जिनसे 10 करोड़ से अधिक महिलाएं जुड़ी हुई हैं। अब तक इन समूहों को 11 लाख करोड़ रुपये का ऋण दिया जा चुका है, जो महिला सशक्तिकरण का सशक्त उदाहरण है।

उन्होंने कहा कि “लखपति दीदी” अभियान, जिसका लक्ष्य तीन करोड़ महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना है, तेजी से आगे बढ़ रहा है और अब तक डेढ़ करोड़ से अधिक बहनें लखपति बन चुकी हैं।

व्यक्तिगत ऋण और एनपीए पर चर्चा

चौहान ने कहा कि महिला सशक्तिकरण केवल SHG तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि व्यक्तिगत ऋण सुविधा भी बढ़ाई जानी चाहिए। उन्होंने बैंकों को चेताया कि एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स) को लेकर जो चिंता होती है, वह महिलाओं के मामले में बहुत कम है, क्योंकि SHG की महिलाओं का औसत एनपीए केवल 0.7% है। यह उनकी ईमानदारी और वित्तीय अनुशासन को दर्शाता है।

बैंकिंग प्रक्रियाओं में सरलता लाने की अपील

केंद्रीय मंत्री ने शिकायतों का संज्ञान लेते हुए कहा कि किसानों और महिलाओं को बैंकिंग प्रक्रियाओं में अनावश्यक अड़चनों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि ₹2 लाख तक के लोन पर कोलेटरल की कोई आवश्यकता नहीं होती, फिर भी कई बैंक दस्तावेज़ी अड़चनें खड़ी करते हैं। उन्होंने बैंकों को सख्त हिदायत दी कि किसानों और बहनों को कागज़ी प्रक्रिया में न उलझाया जाए

फसल बीमा और KCC में हुई प्रगति

  • वर्ष 2013-14 में संस्थागत कृषि ऋण ₹7.3 लाख करोड़ था, जो अब 2023-24 में ₹25.49 लाख करोड़ तक पहुंच चुका है।

  • किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) के तहत दिए गए ऋण की राशि ₹10.25 लाख करोड़ से अधिक हो चुकी है।

  • अब देश के 75% किसानों को बैंकिंग सेक्टर से ऋण मिल रहा है, जिससे उन्हें निजी साहूकारों की ऊंची ब्याज दरों से राहत मिली है।

  • वर्ष 2019 में एनपीए 8.9% था, जो घटकर 2023 में 2.2% हो गया है।

उन्होंने बताया कि 62% KCC खाते ग्रामीण और सहकारी बैंकों में हैं, और छोटे व सीमांत किसानों को भी इसका भरपूर लाभ मिल रहा है। औसत ऋण राशि अब ₹1.27 लाख हो गई है।

बीसी सखियों की भूमिका और नियुक्ति

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि अब तक 1.44 लाख बीसी सखियों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है, जिन्हें जल्द ही नियुक्त किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ये बहनें ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं का विस्तार करने में अहम भूमिका निभाएंगी।

कमजोर जिलों और बैंकों पर विशेष ध्यान

बैठक के दौरान चौहान ने उन राज्यों और जिलों का भी जिक्र किया जहां ऋण कवरेज और SHG लिंकेज में प्रगति अपेक्षित है। उन्होंने कहा कि बैंकों को चाहिए कि वे इन क्षेत्रों में बेहतर रणनीति बनाकर वित्तीय समावेशन को सशक्त करें

बैठक में कृषि सचिव  देवेश चतुर्वेदी, ग्रामीण विकास सचिव शैलेष सिंह, विभिन्न बैंकों के वरिष्ठ अधिकारी, और राज्यों के प्रमुख सचिवों ने भाग लिया और अपने विचार प्रस्तुत किए। सभी ने किसानों और ग्रामीण महिलाओं के कल्याण के लिए मिलकर काम करने के प्रति प्रतिबद्धता जताई।

सारांश

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान की यह बैठक कृषक कल्याण, महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। इस बैठक के बाद उम्मीद है कि फसल बीमा में नामांकन की संख्या बढ़ेगी, और ग्रामीण महिलाओं को अधिक लोन और वित्तीय सहायता प्राप्त होगी, जिससे विकसित भारत के लक्ष्य की दिशा में और तेज़ी से प्रगति हो सकेगी।

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