किसानों को INM पर मिली नई जानकारी, IARI ने दाढ़ोता (पलवल) में किया जागरूक
दाढ़ोता (पलवल), भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), नई दिल्ली द्वारा संचालित Farmer FIRST Project के अंतर्गत दाढ़ोता गाँव (पलवल) में एक दिवसीय किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस गोष्ठी का मुख्य विषय एकीकृत पोषक प्रबंधन (Integrated Nutrient Management – INM) रहा, जिसमें बड़ी संख्या में किसान शामिल हुए।
विशेषज्ञों ने समझाया संतुलित पोषण का महत्व
कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. सुभाश्री, वैज्ञानिक (कृषि विस्तार संभाग, IARI) ने परियोजना के उद्देश्यों और INM की प्रासंगिकता पर विस्तार से जानकारी देकर की। उन्होंने कहा कि इस परियोजना का उद्देश्य किसानों को आधुनिक वैज्ञानिक तकनीकों से जोड़कर स्थानीय संसाधनों के बेहतर उपयोग और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एस.एल. मीणा (सस्यविज्ञान संभाग, IARI) ने किसानों को बताया कि जैसे मनुष्य को अच्छे स्वास्थ्य के लिए संतुलित आहार चाहिए, वैसे ही फसलों को भी संतुलित पोषण जरूरी है। उन्होंने कहा कि गोबर की खाद, कम्पोस्ट, हरी खाद, जैव उर्वरक और वैज्ञानिक ढंग से रासायनिक उर्वरकों का संतुलित उपयोग करने से पैदावार बढ़ती है और मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहती है।
पूसा डीकंपोज़र बना आकर्षण
डॉ. डोलमनी (सूक्ष्मजीव विज्ञान संभाग, IARI) ने किसानों को पराली प्रबंधन और पूसा डीकंपोज़र तकनीक के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस तकनीक से फसल अवशेषों को बिना जलाए 15-25 दिनों में जैविक खाद में बदला जा सकता है, जिससे वायु प्रदूषण कम होता है और मिट्टी की गुणवत्ता सुधरती है।
नैनो यूरिया व नैनो DAP पर विशेष सत्र
IFFCO प्रतिनिधि रविंदर ने किसानों को नैनो यूरिया और नैनो DAP जैसे आधुनिक उर्वरकों की विशेषताएं बताईं। उन्होंने कहा कि ये पारंपरिक उर्वरकों की तुलना में आधी मात्रा में ही अधिक प्रभावी हैं और प्रदूषण को कम करने में मददगार हैं।
सरकारी योजनाओं की जानकारी भी दी गई
हरियाणा कृषि विभाग की कृषि विकास अधिकारी सुश्री रूबी सिंह ने सॉइल हेल्थ कार्ड योजना, प्राकृतिक खेती मिशन, पराली प्रबंधन योजना और FPO योजना के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने किसानों को सरकारी अनुदानों व प्रशिक्षण कार्यक्रमों का लाभ उठाकर टिकाऊ खेती अपनाने का आग्रह किया।
किसानों को वितरित किए गए किट
परियोजना स्टाफ शुभम रोहिल्ला ने किसानों को सब्जी बीज किट, पूसा डीकंपोज़र और जैव उर्वरक सैंपल किट वितरित किए, ताकि किसान इन तकनीकों का अपने खेतों में परीक्षण कर सकें और बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकें।
समापन में लिया गया संकल्प
कार्यक्रम का समापन विशेषज्ञों, अतिथियों और किसानों के प्रति आभार व्यक्त करने के साथ हुआ। सभी प्रतिभागियों ने संकल्प लिया—
“स्वच्छ पर्यावरण, स्वस्थ मृदा और समृद्ध किसान।”