आईएआरआई में यूरोपीय कृषि आयुक्त का दौरा
🌾 यूरोपीय कृषि आयुक्त का आईएआरआई दौरा, बासमती अनुसंधान व सतत कृषि पर गहन विमर्श
नई दिल्ली, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), नई दिल्ली में आज यूरोपीय संघ (EU) के कृषि एवं खाद्य आयुक्त क्रिस्टोफ़ हेंसन ने एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ दौरा किया। इस महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता डा. एम. एल. जाट, सचिव (DARE) एवं महानिदेशक (ICAR) ने की। इस अवसर पर दोनों पक्षों ने कृषि क्षेत्र में नवाचार, तकनीकी सहयोग और व्यापारिक संभावनाओं पर गहन चर्चा की।
🌾 भारत की बासमती अनुसंधान में अग्रणी भूमिका पर जोर
बैठक के दौरान डॉ. जाट ने अपने संबोधन में कहा कि कृषि की सतत प्रगति के लिए People (जनहित), Plant (पर्यावरण) और Profit (लाभ) के बीच संतुलन अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने बताया कि भारत ने बासमती धान अनुसंधान के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है।
उनके अनुसार, भारतीय वैज्ञानिकों के सतत प्रयासों से बासमती धान की फसल अवधि कम हुई है, पैदावार क्षमता में वृद्धि हुई है और पर्यावरण के अनुकूल तकनीकों का विकास हुआ है।
उन्होंने यह भी कहा कि छोटे किसानों और उपभोक्ताओं के हित में बासमती किस्मों को समय-समय पर अद्यतन करना आवश्यक है ताकि बाजार की मांग और गुणवत्ता मानकों के अनुरूप उत्पादन सुनिश्चित हो सके। साथ ही उन्होंने लो-कार्बन चावल उत्पादन, सुरक्षित कीटनाशक अवशेष स्तर (MRL) अपनाने तथा मानव स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
🌾 यूरोपीय संघ ने भारत के प्रयासों की सराहना की
यूरोपीय कृषि आयुक्त क्रिस्टोफ़ हेंसन ने भारत में बासमती चावल उत्पादन और सतत कृषि क्षेत्र में हो रही प्रगति की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत ने अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में जिस प्रकार अग्रणी भूमिका निभाई है, वह वैश्विक खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरणास्रोत है।
उन्होंने भारत और यूरोपीय संघ के बीच कृषि क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करने की आवश्यकता बताते हुए भौगोलिक संकेतक (GI) स्थिति, मुक्त व्यापार समझौता (FTA) और जैविक उत्पादों की समकक्षता (Organic Equivalence) जैसे विषयों पर भी विस्तृत चर्चा की।
🌾 प्रतिनिधिमंडल ने खेतों में देखी आईएआरआई की नवाचार तकनीकें
बैठक के बाद यूरोपीय प्रतिनिधिमंडल ने आईएआरआई परिसर में स्थित बासमती चावल के प्रयोगात्मक खेतों का दौरा भी किया। वहां उन्होंने भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा विकसित उन्नत किस्मों और तकनीकों का प्रत्यक्ष अवलोकन किया।
वैज्ञानिकों ने बताया कि इन नई किस्मों से न केवल किसानों की उत्पादकता और आय में वृद्धि हो रही है, बल्कि जलवायु परिवर्तन से निपटने और पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिल रही है। प्रतिनिधिमंडल ने भारतीय वैज्ञानिकों के नवाचार कार्यों की प्रशंसा करते हुए सहयोग की संभावनाओं को और मजबूत करने का आश्वासन दिया।
🌾 कृषि सहयोग को नई दिशा मिलने की उम्मीद
इस उच्चस्तरीय दौरे से भारत और यूरोपीय संघ के बीच कृषि क्षेत्र में अनुसंधान, नवाचार, तकनीक हस्तांतरण और व्यापारिक सहयोग को नई दिशा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे न केवल भारत के बासमती चावल उत्पादन और निर्यात को बल मिलेगा, बल्कि सतत कृषि मॉडल को भी वैश्विक स्तर पर नई पहचान प्राप्त होगी।
चित्र: ICAR सोशल मीडिया