किसानों के लिए खुला ग्लोबल बाजार का रास्ता
नई दिल्ली/देहरादून। देवभूमि उत्तराखंड के किसानों के लिए यह ऐतिहासिक दिन रहा, जब पहली बार गढ़वाली सेब (किंग रोट किस्म) की खेप विदेश रवाना हुई। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के वाणिज्य विभाग के सचिव सुनील बर्थवाल ने देहरादून से दुबई के लिए 1.2 मीट्रिक टन सेब की इस परीक्षण खेप को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
यह पहल कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के सहयोग से संभव हुई है। एपीडा, जो भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय के अधीन काम करता है, लंबे समय से उत्तराखंड को अंतरराष्ट्रीय कृषि निर्यात मानचित्र पर लाने के प्रयास कर रहा है।
किसानों के लिए नया अध्याय
गढ़वाल की पहाड़ियों में उगने वाला किंग रोट सेब अपनी कुरकुरी बनावट, समृद्ध स्वाद और प्राकृतिक मिठास के लिए जाना जाता है। इसके बावजूद स्थानीय किसानों को अब तक अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुँचने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। परिवहन, शीत-श्रृंखला (कोल्ड चेन), और फसल कटाई के बाद प्रबंधन से जुड़ी चुनौतियों ने उनकी आय सीमित कर रखी थी।
अब दुबई को रवाना हुई यह खेप किसानों के लिए वैश्विक बाजार का दरवाज़ा खोलने जा रही है। इस परीक्षण निर्यात से मिली सीख भविष्य में बेहतर लॉजिस्टिक्स, कोल्ड चेन प्रबंधन और निर्यात ढाँचे को विकसित करने में मदद करेगी।
सचिव का संदेश
सुनील बर्थवाल ने इस अवसर पर कहा –“भारत का लक्ष्य है कि हर क्षेत्रीय और विशिष्ट कृषि उत्पाद अंतरराष्ट्रीय उपभोक्ताओं तक पहुँचे। गढ़वाली सेब का निर्यात इसी दिशा में एक बड़ा कदम है। एपीडा और उत्तराखंड सरकार के सामूहिक प्रयासों से यह संभव हुआ है। भविष्य में इस पहल से किसानों की आय में वृद्धि होगी और उत्तराखंड कृषि निर्यात का मजबूत केंद्र बनेगा।”
उन्होंने यह भी बताया कि उत्तराखंड से केवल सेब ही नहीं, बल्कि बासमती चावल, मिलेट्स, राजमा, मसाले, औषधीय पौधे, शहद, कीवी, आम, लीची, आड़ू और आलू जैसे पैदावार की भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपार संभावनाएं हैं।
एपीडा की योजनाएं
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देहरादून में नया क्षेत्रीय कार्यालय खोलने की तैयारी, ताकि किसानों और निर्यातकों को नज़दीक से सहयोग मिले।
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उत्तराखंड-विशिष्ट उत्पादों के लिए ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन और जीआई टैगिंग की सुविधा।
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अंतरराष्ट्रीय रिटेल चेन लुलु ग्रुप के साथ एमओयू, ताकि क्षेत्रीय उत्पादों की विदेशों में बिक्री हो सके।
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सुगंधित पौधों की खेती को बढ़ावा – पौड़ी ज़िले में 2,200 टिमरू पौधे लगाए गए।
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ऑर्गेनिक उत्पादों, मोटे अनाज, दालें और औषधीय पौधों के निर्यात पर विशेष फोकस।
उत्तराखंड का योगदान
वित्त वर्ष 2024–25 में भारत से एपीडा के अंतर्गत ₹2,43,004.89 करोड़ का निर्यात हुआ। इसमें उत्तराखंड का योगदान ₹201 करोड़ रहा। अभी तक राज्य से मुख्य रूप से गुड़, कन्फेक्शनरी और ग्वार गम का निर्यात होता रहा है, लेकिन अब ताज़े फलों और ऑर्गेनिक उत्पादों पर जोर दिया जा रहा है।
देवभूमि की पहचान बनेगा कृषि निर्यात
कार्यक्रम में एपीडा अध्यक्ष अभिषेक देव, उत्तराखंड सरकार की अतिरिक्त सचिव सुश्री झरना कमठान, और सुगंधित पौधा केंद्र के निदेशक डॉ. नृपेन्द्र चौहान भी मौजूद रहे। सभी ने मिलकर इस पहल को उत्तराखंड के किसानों के लिए नए युग की शुरुआत बताया।
यह ऐतिहासिक निर्यात केवल सेब उत्पादकों के लिए गर्व का क्षण नहीं है, बल्कि यह उत्तराखंड को भारत के कृषि निर्यात मानचित्र पर सशक्त स्थान दिलाने की दिशा में भी बड़ा कदम है।