अयोध्या विश्वविद्यालय में हो रहा 12 किस्मों पर शोध
अयोध्या में कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने ड्रैगन फ्रूट की खेती का किया निरीक्षण, किसानों के लिए खुल रही नई संभावनाएं
अयोध्या। उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने अयोध्या स्थित आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर में हो रही “कमलम” यानी ड्रैगन फ्रूट की खेती का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि ड्रैगन फ्रूट आने वाले समय में किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण आय का स्रोत साबित हो सकता है।
कृषि मंत्री ने बताया कि ड्रैगन फ्रूट की लोकप्रियता देशभर में तेजी से बढ़ रही है। इसका कारण इसका आकर्षक रंग, स्वाद और पोषण गुण हैं। उन्होंने कहा कि यह फल न केवल बाजार में अच्छी कीमत दिलाता है, बल्कि स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी बेहद लाभकारी है।
खेती की विशेषताएं
विशेषज्ञों ने जानकारी दी कि ड्रैगन फ्रूट की खेती अर्ध-शुष्क और शुष्क इलाकों में आसानी से की जा सकती है। इसे बीजों से नहीं बल्कि कलमों (कटिंग्स) से लगाया जाता है, जिससे पौधा जल्दी तैयार होता है और लगभग 16 महीनों में फल देना शुरू कर देता है। समय के साथ इसकी उत्पादन क्षमता भी बढ़ती रहती है।
एक पौधा हर सीजन में 3 से 5 बार तक फल दे सकता है और प्रत्येक फल का वजन 300 से 800 ग्राम तक होता है। इसकी सिंचाई की आवश्यकता अन्य फसलों की तुलना में बहुत कम है। यही कारण है कि यह कम लागत में अधिक लाभ देने वाली फसल मानी जा रही है।
स्वास्थ्य और पोषण गुण
कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि ड्रैगन फ्रूट में प्रचुर मात्रा में फाइबर, मैग्नीशियम और अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं। ये तत्व शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं। यही वजह है कि बाजार में इसकी मांग निरंतर बढ़ रही है।
विश्वविद्यालय में शोध
आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय में वर्तमान में ड्रैगन फ्रूट की 12 विभिन्न किस्मों पर शोध कार्य चल रहा है। विश्वविद्यालय प्रशासन का मानना है कि इस शोध से किसानों को उन्नत किस्मों और बेहतर खेती तकनीक की जानकारी मिलेगी। इससे किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी होगी और उन्हें नई फसलों की ओर प्रोत्साहन मिलेगा।
किसानों को मिलेगा लाभ
निरीक्षण के दौरान कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि प्रदेश सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य पर काम कर रही है। ड्रैगन फ्रूट जैसी वैकल्पिक और उच्च मूल्य वाली फसलें इस दिशा में मील का पत्थर साबित होंगी। उन्होंने विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को निर्देश दिया कि वे किसानों के बीच प्रशिक्षण शिविर और कार्यशालाएं आयोजित करें, ताकि अधिक से अधिक किसान इस खेती को अपना सकें।
उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को नई तकनीक और बाजार उपलब्ध कराने में हरसंभव सहयोग करेगी। ड्रैगन फ्रूट की खेती न केवल किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाएगी, बल्कि कृषि क्षेत्र में विविधता भी लाएगी।
चित्र:सौजन्य सोशल मीडिया