डिजिटल तकनीक से कृषि क्षेत्र में दक्षता, समावेशन और खाद्य सुरक्षा को मिलेगा बल
भारत ने रोम में आयोजित #CFS में आयोजित साइड इवेंट में कृषि में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना और डिजिटल समाधानों पर किया जोर
रोम, इटली। संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य सुरक्षा समिति (CFS) के 53वें सत्र के दौरान भारत ने “डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) और कृषि में डिजिटल समाधान” विषय पर साइड इवेंट की मेजबानी की। इस अवसर पर कृषि क्षेत्र में तकनीक की भूमिका को रेखांकित करते हुए बताया गया कि कैसे डिजिटल नवाचार कृषि में दक्षता, पारदर्शिता, समावेशन और खाद्य सुरक्षा को सशक्त बना रहे हैं।
FAO मुख्य अर्थशास्त्री ने DPI को बताया कृषि-खाद्य प्रणाली का प्रमुख प्रेरक
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के मुख्य अर्थशास्त्री मैक्सिमो टोरेरो ने अपने संबोधन में कहा कि डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) कृषि-खाद्य प्रणालियों के आधुनिकीकरण में एक प्रमुख प्रेरक शक्ति है। उन्होंने इसकी समावेशिता, पारदर्शिता, खुलापन और पारस्परिक संचालन क्षमता को विशेष रूप से रेखांकित किया।
भारत की DPI मॉडल कृषि में ला रहा क्रांतिकारी परिवर्तन: डॉ. देवेश चतुर्वेदी
भारत सरकार के कृषि सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने बताया कि भारत में DPI मॉडल कृषि क्षेत्र को पूरी तरह बदल रहा है। भारतीय मॉडल समावेशी, पारदर्शी, किसान-केंद्रित और गोपनीयता-संवेदनशील है। इस प्रणाली के माध्यम से किसानों को समय पर सलाह, बेहतर निर्णय समर्थन और खाद्य सुरक्षा तथा पोषण के राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिल रही है।
‘वन नेशन वन राशन कार्ड’ बना समावेशी वितरण का उदाहरण
भोजन एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के अपर सचिव और वित्त सलाहकार संजीव शंकर ने इस अवसर पर बताया कि DPI सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों को सशक्त बना रहा है। उन्होंने वन नेशन वन राशन कार्ड को एक इंटरऑपरेबल और समावेशी खाद्य वितरण मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में भारत की राजदूत सुश्री वाणी राव भी विशिष्ट रूप से उपस्थित रहीं।
भूमि शासन सुधार और तकनीकी नवाचार पर भारत का बहु-आयामी दृष्टिकोण
CFS सत्र के दौरान “भूमि स्वामित्व के जिम्मेदार शासन को बढ़ावा” विषय पर डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने कहा कि भारत ने VGGT सिद्धांतों को लागू करने में बहु-आयामी रणनीति अपनाई है, जिसमें भूमि सुधार, कानूनी सुधार, प्रशासनिक आधुनिकीकरण और तकनीकी नवाचारों को जोड़ा गया है।
मिलेट्स से खाद्य सुरक्षा और पोषण सशक्तीकरण
FAO में आयोजित एक अन्य सत्र “नेग्लेक्टेड एंड अंडरयूटिलाइज्ड स्पीशीज़ (NUS) एंड एग्रोइकोलॉजी” में डॉ. चतुर्वेदी ने बताया कि भारत ने मिलेट्स (श्री अनाज) के माध्यम से पोषण विविधता बढ़ाने और कुपोषण से लड़ने में अग्रणी भूमिका निभाई है।
भारत ने न केवल संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2023 को ‘अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष’ घोषित कराने में नेतृत्व किया, बल्कि इन्हें राष्ट्रीय पोषण योजनाओं, बाजारों और निर्यात में शामिल कर टिकाऊ और लचीले खाद्य प्रणालियों के निर्माण की दिशा में कदम बढ़ाया है।
चित्र: सौजन्य सोशल मीडिया