राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से सशक्त हुई महिलाएं और किसान

ग्रामीण भारत की बदलती तस्वीर: दीनदयाल अंत्योदय योजना

🟩ग्रामीण भारत के आर्थिक उत्थान का सशक्त मॉडल

भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा संचालित दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) आज देश में ग्रामीण गरीबी उन्मूलन और महिला सशक्तिकरण का सबसे बड़ा अभियान बन चुका है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण गरीब परिवारों को लाभकारी स्वरोज़गार और वेतन आधारित रोजगार के अवसर प्रदान कर आत्मनिर्भर बनाना है।

देश के अलग-अलग हिस्सों में अब तक 10.05 करोड़ ग्रामीण परिवारों को 90.9 लाख स्वयं सहायता समूहों (SHGs) से जोड़ा गया है। इन समूहों के माध्यम से 4.62 करोड़ महिला किसान, 3.74 लाख उद्यमी और 47,952 बैंक सखियाँ सक्रिय रूप से काम कर रही हैं। इन पहलों ने न केवल महिलाओं की आय में वृद्धि की है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूत बनाया है।

🟩मेघालय की हीनीदमांकी कनाई बनीं आत्मनिर्भरता की मिसाल

इस मिशन की सफलता की कहानियाँ देशभर के गांवों में देखी जा सकती हैं। मेघालय की हीनीदमांकी कनाई ने जनवरी 2020 में किरशानलांग स्वयं सहायता समूह से जुड़कर अपने जीवन की नई शुरुआत की। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के मार्गदर्शन और सहयोग से उन्होंने गुलाब, एलोवेरा, संतरा और लेमनग्रास से प्राकृतिक साबुन बनाना शुरू किया।

अप्रैल 2023 में व्यवसाय शुरू करने के कुछ महीनों बाद ही उन्हें बैंक से ₹1.8 लाख का ऋण प्राप्त हुआ, जिससे उन्होंने मशीनें खरीदीं और अपने उत्पाद की गुणवत्ता जांच के लिए लैब परीक्षण करवाया। उनकी मेहनत रंग लाई — आज उनकी वार्षिक आय ₹1 लाख से अधिक है। हीनीदमांकी अब अपने गांव की अन्य महिलाओं को भी प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दे रही हैं।

🟩मिशन की पृष्ठभूमि और उद्देश्य

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की शुरुआत वर्ष 2010 में हुई थी, जब इसे स्वर्ण जयंती ग्रामीण स्वरोज़गार योजना (SGSY) से परिवर्तित कर मिशन मोड में लागू किया गया। वर्ष 2016 में इसका नाम बदलकर दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) रखा गया।

यह योजना केंद्र और राज्य सरकारों की साझेदारी से संचालित होती है और इसे ग्रामीण गरीबों की आजीविका सुधारने के लिए दुनिया की सबसे बड़ी पहलों में गिना जाता है।
मिशन का उद्देश्य है
1️⃣ ग्रामीण गरीब महिलाओं को संगठित कर सशक्त बनाना
2️⃣ वित्तीय सेवाओं और ऋण की पहुंच बढ़ाना
3️⃣ स्थायी आजीविका को प्रोत्साहित करना
4️⃣ सामाजिक समावेशन और अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना

🟩मुख्य उपलब्धियां और प्रगति

डीएवाई-एनआरएलएम ने देशभर में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं।

  • 10.05 करोड़ परिवार स्वयं सहायता समूहों से जुड़े

  • 4.62 करोड़ महिला किसान आजीविका में सक्रिय

  • 3.5 लाख कृषि सखियाँ और पशु सखियाँ प्रशिक्षण प्राप्त

  • 1.95 लाख उत्पादक समूहों के जरिये 50 लाख से अधिक महिलाओं को लाभ

  • 47,952 बैंक सखियाँ वित्तीय समावेशन का माध्यम बनीं

  • ₹11 लाख करोड़ का ऋण महिला स्वयं सहायता समूहों को वितरित, 6,000 कृषि क्लस्टर स्थापित

🟩उच्च प्रदर्शन करने वाले राज्य

30 जून 2025 तक बिहार, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश ने सर्वोत्तम प्रदर्शन किया है।
वित्तीय उपलब्धियों में –

  • उत्तर प्रदेश ने ₹1,23,326 लाख,

  • बिहार ने ₹1,05,132 लाख,

  • आंध्र प्रदेश ने ₹34,83,725 लाख का बैंक ऋण वितरण किया है।

🔹 कृषि क्षेत्र में
महाराष्ट्र ने 12,97,051 महिला किसानों को शामिल किया,
उत्तर प्रदेश में 11,37,950 और आंध्र प्रदेश में 10,43,085 महिलाएं इस कार्यक्रम का हिस्सा बनीं।

🔹 गैर-कृषि उद्यमिता में
असम अग्रणी राज्य है, जहां 9,557 उद्यमों को समर्थन मिला, जबकि केरल (5,802) और पश्चिम बंगाल (4,933) ने भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है।

🔹कौशल विकास और रोजगार सृजन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम

डीएवाई-एनआरएलएम के अंतर्गत दो प्रमुख योजनाएँ लागू हैं —

(1) दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (DDU-GKY)

15 से 35 वर्ष आयु वर्ग के ग्रामीण युवाओं को व्यावहारिक प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है।

  • अब तक 17.5 लाख युवाओं को प्रशिक्षित किया गया

  • 11.48 लाख युवाओं को रोजगार मिला

(2) ग्रामीण स्वरोज़गार प्रशिक्षण संस्थान (RSETI)

18 से 50 वर्ष के युवाओं को उद्यमिता प्रशिक्षण दिया जाता है।

  • 56.69 लाख युवाओं को प्रशिक्षित किया गया

  • 40.99 लाख युवाओं ने स्वरोज़गार या वेतन आधारित रोजगार अपनाया

उत्तर प्रदेश इस क्षेत्र में भी शीर्ष पर है, जहां 7.55 लाख युवाओं को प्रशिक्षण मिला और 5.54 लाख उद्यमी स्थापित हुए।

🔹महिला सशक्तिकरण: मिशन की सबसे बड़ी उपलब्धि

डीएवाई-एनआरएलएम ने ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक, सामाजिक और वित्तीय रूप से सशक्त किया है। स्वयं सहायता समूहों को ₹11 लाख करोड़ का बिना कोलेटेरल ऋण प्रदान किया गया है, जिसकी 98% से अधिक पुनर्भुगतान दर इसकी सफलता दर्शाती है।

महिलाएं अब बैंक सखी, कृषि सखी, पशु सखी और बीमा सखी जैसी भूमिकाओं में नेतृत्व कर रही हैं। वे न केवल अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुधार रही हैं, बल्कि गांवों में वित्तीय साक्षरता और आत्मनिर्भरता का वातावरण भी बना रही हैं।

🔹उन्नत प्रशिक्षण और विपणन कौशल विकास

महिला उद्यमियों को बाजार से जोड़ने के लिए सरकार हर वर्ष ‘सरस आजीविका मेला’ आयोजित करती है। वर्ष 2025 का मेला 5 से 22 सितंबर तक नई दिल्ली में हुआ, जिसमें देशभर के SHG उत्पादों को प्रदर्शित और विपणन के अवसर प्रदान किए गए।

इसके अलावा, राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान (NIRD&PR) ने पिछले तीन वर्षों में 44 प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर महिला उद्यमियों को विपणन और प्रबंधन कौशल सिखाया है।

🔹सारांश

दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) आज भारत के ग्रामीण पुनर्जागरण की धुरी बन चुका है। इसने महिलाओं और युवाओं को रोजगार, प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता देकर आत्मनिर्भर बनाया है।

मिशन ने जिस पारदर्शिता और निष्ठा के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में परिवर्तन लाया है, वह भारत के “आत्मनिर्भर ग्राम, सशक्त भारत” के लक्ष्य को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। आने वाले समय में यह मिशन न केवल गरीबी मिटाने का माध्यम बनेगा, बल्कि ग्रामीण भारत की नई विकासगाथा लिखेगा।

Source: Ministry of Rural Development

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