कार्बन खेती: मिट्टी भी बचेगी, आमदनी भी बढ़ेगी!

कार्बन खेती क्या है और किसानों को कैसे मिलेगा फायदा!

कार्बन खेती (Carbon Farming) कृषि का एक आधुनिक और टिकाऊ तरीका है, जिसमें किसान खेती की ऐसी तकनीकें अपनाते हैं जिससे मिट्टी, पौधे और वातावरण में मौजूद अतिरिक्त कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) को सोखकर सुरक्षित रखा जा सके। इसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन को कम करना, मिट्टी की उर्वरता बढ़ाना और किसानों को अतिरिक्त आय का अवसर प्रदान करना है।

कार्बन खेती कैसे की जाती है?

कार्बन खेती के लिए किसान कुछ विशेष पद्धतियां अपनाते हैं, जिनसे मिट्टी में कार्बन का भंडारण बढ़ाया जा सके। इनमें प्रमुख हैं..

  1. जैविक खेती और कम्पोस्ट का उपयोग – रासायनिक खाद की जगह गोबर खाद, वर्मी कम्पोस्ट और हरी खाद डालकर मिट्टी में कार्बन स्थायी रूप से सुरक्षित किया जा सकता है।

  2. फसल चक्र और मिश्रित खेती – एक ही खेत में अलग-अलग मौसम में विविध फसलें लगाने से मिट्टी की सेहत सुधरती है और कार्बन अवशोषण की क्षमता बढ़ती है।

  3. एग्रोफॉरेस्ट्री (Agroforestry) – खेत की मेड़ों पर पेड़ लगाने से न सिर्फ छाया और लकड़ी मिलती है बल्कि यह वातावरण से कार्बन सोखकर मिट्टी में पहुंचाते हैं।

  4. कवर क्रॉप (Cover Crop) – खाली पड़ी जमीन पर हरी खाद वाली फसलें बोने से मिट्टी का कटाव रुकता है और कार्बन सुरक्षित होता है।

  5. न्यूनतम जुताई (Minimum Tillage) – बार-बार हल चलाने से मिट्टी का कार्बन बाहर निकलता है, इसलिए कम जुताई से कार्बन लंबे समय तक मिट्टी में रहता है।

किसानों को क्या फायदे मिलेंगे?

  • मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार – कार्बन खेती से मिट्टी उपजाऊ होती है, जल धारण क्षमता बढ़ती है और लंबे समय तक फसल अच्छी होती है।

  • रासायनिक लागत में कमी – जैविक खाद और प्राकृतिक तकनीकों से महंगे रासायनिक खाद और कीटनाशकों पर खर्च घटता है।

  • अतिरिक्त आय का अवसर – कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां और संस्थाएं कार्बन क्रेडिट खरीदती हैं। किसान यदि कार्बन खेती करते हैं तो उन्हें “कार्बन क्रेडिट” के बदले आर्थिक लाभ मिल सकता है।

  • पर्यावरण संरक्षण – इससे ग्रीनहाउस गैसों का स्तर कम होता है और जलवायु परिवर्तन की गति धीमी पड़ती है।

  • लंबे समय तक स्थायी खेती – मिट्टी में कार्बन संग्रहित रहने से खेतों की उत्पादकता पीढ़ियों तक बनी रहती है।

सारांश

कार्बन खेती किसानों के लिए केवल पर्यावरण बचाने का उपाय ही नहीं, बल्कि आय बढ़ाने का नया साधन भी है। इससे जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटा जा सकता है और खेती को टिकाऊ बनाया जा सकता है। आने वाले समय में सरकार और निजी कंपनियां कार्बन क्रेडिट के माध्यम से किसानों को और अधिक प्रोत्साहन देंगी, जिससे गांव और किसान दोनों समृद्ध होंगे।

चित्र: सौजन्य कृृषि एंव किसान कल्याण मंत्रालय, सोशल मीडिया

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