कैबिनेट ने पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम में संशोधन को दी मंजूरी

3880 करोड़ रुपये की लागत से पशुपालन क्षेत्र को मिलेगा नया प्रोत्साहन

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आज पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एलएचडीसीपी) में संशोधन को मंजूरी दे दी है। इस संशोधन का उद्देश्य पशुधन की बेहतर देखभाल और रोग नियंत्रण को सुनिश्चित करना है।

योजना के घटक एवं नए संशोधन एलएचडीसीपी योजना में तीन प्रमुख घटक शामिल हैं:

  1. राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनएडीसीपी)
  2. पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण (एलएचएंडडीसी), जिसके तीन उप-घटक हैं:
    • गंभीर पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (सीएडीसीपी)
    • मौजूदा पशु चिकित्सा अस्पतालों और औषधालयों की स्थापना और सुदृढ़ीकरण – मोबाइल पशु चिकित्सा इकाई (ईएसवीएचडी-एमवीयू)
    • पशु रोगों के नियंत्रण के लिए राज्यों को सहायता (एएससीएडी)
  3. पशु औषधि
नवीनतम संशोधन

पशु औषधि को एक नए घटक के रूप में जोड़ा गया है। इस योजना का कुल परिव्यय दो वर्षों (2024-25 और 2025-26) के लिए 3880 करोड़ रुपये रखा गया है, जिसमें 75 करोड़ रुपये विशेष रूप से अच्छी गुणवत्ता वाली और सस्ती जेनेरिक पशु चिकित्सा दवाओं की उपलब्धता और बिक्री को बढ़ावा देने के लिए आवंटित किए गए हैं।

रोगों की रोकथाम और पशुधन की उत्पादकता पर प्रभाव
प्रतीकात्मक ग्राफिक्स

खुरपका और मुंहपका रोग (एफएमडी), ब्रुसेलोसिस, पेस्ट डेस पेटिट्स रूमिनेंट्स (पीपीआर), सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूइड (सीएसएफ), लम्पी स्किन डिजीज जैसी बीमारियों के कारण पशुधन की उत्पादकता प्रभावित होती है। एलएचडीसीपी के तहत किए गए प्रयासों से टीकाकरण और अन्य उपायों के माध्यम से इन रोगों की रोकथाम की जाएगी।

इस योजना के माध्यम से मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों (ईएसवीएचडी-एमवीयू) की मदद से पशुधन स्वास्थ्य सेवाओं को घर-घर तक पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा। साथ ही, पीएम-किसान समृद्धि केंद्रों और सहकारी समितियों के नेटवर्क के माध्यम से जेनेरिक पशु चिकित्सा दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।

कृषक और ग्रामीण विकास पर प्रभाव

पशुधन से जुड़े रोगों की रोकथाम और नियंत्रण संभव होगा।

  • पशुओं की उत्पादकता में वृद्धि होगी।
  • नए रोजगार के अवसर सृजित होंगे।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा।
  • रोगों के कारण किसानों को होने वाले आर्थिक नुकसान को कम किया जा सकेगा।

सरकार के इस कदम से पशुधन स्वास्थ्य सुधार के साथ-साथ कृषि और डेयरी क्षेत्र में सतत विकास को भी गति मिलेगी। इस योजना से उत्पादकता में सुधार होगा, रोजगार पैदा होगा, ग्रामीण क्षेत्र में उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा और बीमारी के बोझ के कारण किसानों को होने वाले आर्थिक नुकसान को रोका जा सकेगा।

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