🌾 भारत-रूस कृषि सहयोग से किसानों को लाभ!
नई दिल्ली। भारत और रूस के बीच कृषि क्षेत्र में सहयोग को और गहरा करने तथा द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने की दिशा में एक अहम कदम उठाया गया है। शुक्रवार को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान और रूस के उप प्रधानमंत्री दिमित्री पात्रुशेव की नई दिल्ली स्थित कृषि भवन में हुई बैठक में कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर सहमति बनी।
बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने आपसी हित के व्यापक मुद्दों पर चर्चा की, जिनमें मुख्य रूप से कृषि व्यापार को मजबूत करना, निर्यात के अवसर बढ़ाना, तकनीकी सहयोग को आगे बढ़ाना और शैक्षणिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहन देना शामिल रहा।
भारत-रूस संबंधों में विश्वास और साझेदारी का संदेश
केंद्रीय कृषि मंत्री चौहान ने इस अवसर पर भारत-रूस संबंधों की दीर्घकालिक साझेदारी और पारस्परिक विश्वास पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत की प्रमुख प्राथमिकताएं किसानों की आय में वृद्धि, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना और सभी के लिए सुरक्षित एवं पौष्टिक भोजन की उपलब्धता हैं।
उन्होंने रूस को यह भी आश्वस्त किया कि भारत कृषि क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को “वसुधैव कुटुम्बकम” यानी विश्व एक परिवार है की भावना से देखता है।
कृषि उत्पादों के निर्यात पर विशेष बल
बैठक में भारतीय पक्ष ने स्पष्ट किया कि रूस जैसे बड़े बाजार में भारत के कृषि उत्पादों की बेहतर पहुँच अत्यंत आवश्यक है। विशेष रूप से मत्स्य और पोल्ट्री उत्पादों के निर्यात को लेकर चर्चा हुई।
चौहान ने उम्मीद जताई कि रूस की ओर से फाइटो-सेनेटरी मानकों और नॉन-टैरिफ बाधाओं से जुड़े मुद्दों का समाधान शीघ्र निकाला जाएगा, जिससे भारतीय उत्पादों के लिए नए अवसर खुलेंगे।
रूस ने समझौता ज्ञापन का दिया प्रस्ताव
रूसी उप प्रधानमंत्री दिमित्री पात्रुशेव ने भारत और रूस के बीच दीर्घकालिक सहयोग पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कृषि क्षेत्र में व्यापार संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने के लिए रूस उत्सुक है। उन्होंने दोनों देशों के बीच साझेदारी को औपचारिक रूप देने के लिए समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर करने की इच्छा जताई।
शिक्षा और अनुसंधान में नए अवसर
बैठक में दोनों पक्षों ने शैक्षणिक क्षेत्र में भी सहयोग को आगे बढ़ाने पर सहमति जताई।
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रूस ने चार भारतीय छात्रों को निशुल्क पढ़ाई की सुविधा देने का प्रस्ताव रखा।
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भारत ने भी रूस के छात्रों को अपने कृषि संस्थानों में फेलोशिप देने की घोषणा की।
इससे न केवल दोनों देशों के छात्रों को लाभ मिलेगा, बल्कि सांस्कृतिक और शैक्षणिक आदान-प्रदान भी मजबूत होगा।
साथ ही, कृषि अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए बीज ट्रेसेबिलिटी प्रणाली और प्रौद्योगिकी आधारित समाधानों पर संयुक्त पहल की संभावना पर चर्चा हुई।
तकनीकी सहयोग और नवाचार पर बातचीत
चौहान ने कहा कि भारत और रूस के बीच कृषि अनुसंधान संस्थानों के स्तर पर सहयोग बढ़ाने की संभावना पर भी चर्चा हुई है।
उन्होंने बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और रूस की समकक्ष संस्थाओं के बीच विज्ञान और तकनीक के आदान-प्रदान को बढ़ाने पर सहमति बनी है।
उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल की भागीदारी
इस बैठक में दोनों देशों के शीर्ष प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
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रूसी पक्ष से कृषि उप मंत्री मक्सिम मार्कोविच, भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव, और रूस की संघीय पशु चिकित्सा एवं पादप स्वच्छता निगरानी सेवा के प्रमुख सर्गेई डंकवर्ट शामिल हुए।
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भारतीय पक्ष से कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी, विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के उप महानिदेशक, तथा पशुपालन एवं डेयरी विभाग के अधिकारी मौजूद रहे।
बैठक के अंत में शिवराज सिंह चौहान ने कहा,
“मुझे पूरा विश्वास है कि रूस के समर्थन और सहयोग से व्यापार से जुड़े लंबित मुद्दों का समाधान अवश्य होगा और इसका लाभ किसानों, उपभोक्ताओं और दोनों देशों के नागरिकों को मिलेगा।”