“श्री अन्न क्रांति: भारत में पोषण, किसान समृद्धि और सतत कृषि की नई दिशा”


प्रधानमंत्री मोदी का दृष्टिकोण: ‘मिलेट्स से समृद्ध भारत’

धरती की गोद में पले ये छोटे-छोटे दाने, आज भारत की सबसे बड़ी पोषण क्रांति की कहानी लिख रहे हैं। कभी “गरीबों का अनाज” कहे जाने वाले मोटे अनाज — अब “श्री अन्न” के नाम से विश्व मंच पर चमक रहे हैं। ये वही अनाज हैं जिन्होंने सूखे में भी किसानों के खेतों को हरियाली दी, बच्चों की थाली में पोषण भरा और जलवायु परिवर्तन की चुनौती के बीच आशा का नया बीज बोया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने न केवल मिलेट्स को “श्री अन्न” का सम्मान दिया, बल्कि इन्हें देश की खाद्य नीति, स्वास्थ्य अभियान और किसानों की आय वृद्धि के केंद्र में रखा। संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2023 को “अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष” घोषित किया जाना इस अभियान को वैश्विक पहचान दिलाने वाला क्षण था।

आज जब पूरी दुनिया टिकाऊ और पोषक आहार की तलाश में है, तब भारत का श्री अन्न मॉडलपोषण, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था—तीनों के बीच संतुलन का जीवंत उदाहरण बनकर उभर रहा है।

परिचय : भारत में ‘श्री अन्न’ की वापसी

भारत सदियों से विविध कृषि परंपराओं का केंद्र रहा है। कभी हमारे खेतों में ज्वार, बाजरा, रागी, कोदो, कुटकी और सामा जैसे मोटे अनाज प्रमुख फसलों में गिने जाते थे। ये अनाज न केवल पौष्टिक थे बल्कि सूखे, कम पानी और अल्प उपजाऊ भूमि पर भी आसानी से उगाए जा सकते थे।
पिछले कुछ दशकों में हरित क्रांति के बाद गेहूं और धान पर निर्भरता बढ़ी, जिससे मोटे अनाज धीरे-धीरे किसानों की प्राथमिकता से दूर हो गए। लेकिन अब स्थिति बदल रही है। भारत ने ‘श्री अन्न के रूप में मिलेट्स को फिर से राष्ट्रीय खाद्य मिशन का हिस्सा बनाया है।

‘श्री अन्न’ का उदय : प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मिलेट्स को “श्री अन्न” का नाम देते हुए इसे भारत की परंपरा, पोषण और समृद्धि से जोड़ा है। उनके नेतृत्व में वर्ष 2023 को संयुक्त राष्ट्र ने “अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष (International Year of Millets)” घोषित किया।
इस अवसर पर भारत ने न केवल घरेलू स्तर पर बल्कि वैश्विक मंचों पर भी श्री अन्न को लोकप्रिय बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। इसका उद्देश्य है —

  • किसानों की आय में वृद्धि

  • पोषण स्तर में सुधार

  • जलवायु परिवर्तन के अनुकूल फसलों का विस्तार

कृषि, पोषण और अर्थव्यवस्था का त्रिवेणी संगम

श्री अन्न केवल एक फसल नहीं, बल्कि एक समग्र समाधान है।
यह कृषि की टिकाऊ प्रणाली, ग्रामीण रोजगार, और पोषण सुरक्षा — तीनों को जोड़ता है।

  • कृषि दृष्टि से: मिलेट्स कम पानी में, बिना रासायनिक खादों के भी सफलतापूर्वक उगाए जा सकते हैं।

  • पोषण दृष्टि से: इनमें फाइबर, कैल्शियम, आयरन, प्रोटीन, और मिनरल्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।

  • आर्थिक दृष्टि से: प्रोसेस्ड मिलेट प्रोडक्ट्स (जैसे फ्लेक्स, कुकीज, रेडी-टू-कुक मिक्स) से ग्रामीण उद्यमिता और महिला स्व-सहायता समूहों के लिए नए अवसर पैदा हो रहे हैं।

सरकारी पहल : नीति से बाजार तक

भारत सरकार ने मिलेट्स को बढ़ावा देने के लिए अनेक योजनाएँ प्रारंभ की हैं —

  1. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM – Coarse Cereals):
    मिलेट्स उत्पादन बढ़ाने, बीज वितरण और किसानों को तकनीकी प्रशिक्षण देने का कार्य किया जा रहा है।

  2. प्रधानमंत्री किसान सम्पदा योजना और FPOs (Farmer Producer Organizations):
    मिलेट प्रोसेसिंग यूनिट्स, वैल्यू एडिशन और ब्रांडिंग के लिए सहायता।

  3. ICAR और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों की भूमिका:
    वैज्ञानिक शोध, बेहतर किस्मों का विकास और प्रसंस्करण तकनीकों का प्रशिक्षण।

  4. मध्यप्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान, तेलंगाना जैसे अग्रणी राज्य:
    राज्य स्तर पर “श्री अन्न मिशन” और “मिलेट हब” जैसी योजनाएं शुरू की गई हैं।

श्री अन्न और पोषण क्रांति : स्वस्थ भारत की ओर

भारत में कुपोषण, एनीमिया और मोटापे जैसी समस्याएँ बढ़ रही हैं। ऐसे में मिलेट्स एक प्राकृतिक समाधान हैं।
पोषण विशेषज्ञ बताते हैं कि नियमित आहार में श्री अन्न शामिल करने से —

  • पाचन शक्ति में सुधार

  • रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) का नियंत्रण

  • मोटापा और हृदय रोग के खतरे में कमी

  • बच्चों और गर्भवती महिलाओं में पोषण की पूर्ति
    होती है।
    इसीलिए अब स्कूल मिड-डे मील, आंगनवाड़ी, और पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (PDS) में भी मिलेट्स को शामिल किया जा रहा है।

निर्यात और वैश्विक पहचान : ‘सुपरफूड’ के रूप में मिलेट्स

भारत विश्व का सबसे बड़ा मिलेट उत्पादक देश है।
कुल वैश्विक उत्पादन का लगभग 20% हिस्सा भारत से आता है।
2023 में अंतरराष्ट्रीय वर्ष घोषित होने के बाद भारतीय मिलेट्स की मांग अमेरिका, यूरोप, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में बढ़ी है।
कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) के अनुसार —
भारत का मिलेट निर्यात 2022-23 में लगभग ₹600 करोड़ तक पहुंच गया, जो पिछले वर्षों की तुलना में लगभग दोगुना है।

महिलाओं की भूमिका : आत्मनिर्भरता की नई मिसाल

श्री अन्न क्रांति में ग्रामीण महिलाओं की भूमिका उल्लेखनीय है।
देशभर में हजारों महिला स्वयं सहायता समूह (SHGs) मिलेट आधारित उत्पाद बना रहे हैं —
जैसे रागी कुकीज, बाजरा पापड़, ज्वार पफ्स, कोदो बाइट्स इत्यादि।
यह न केवल पोषण को बढ़ा रहा है बल्कि ग्रामीण महिला उद्यमिता को भी नई दिशा दे रहा है।

राज्यवार पहल : स्थानीय से वैश्विक तक

  • कर्नाटक: “मिलेट्स मिशन” ने राज्य को भारत का मिलेट हब बना दिया है।

  • मध्यप्रदेश: श्री अन्न मिशन के तहत उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन को जोड़ने का प्रयास।

  • राजस्थान और उत्तराखंड: सूखे इलाकों में मिलेट खेती से किसानों की आमदनी में वृद्धि।

  • छत्तीसगढ़ और ओडिशा: आदिवासी अंचलों में मिलेट आधारित पोषण कार्यक्रम लागू।

सफलता के आयाम : मिलेट से बाजार तक

अब देशभर में “श्री अन्न कैफे”, “मिलेट मार्केट” और “ऑर्गेनिक फूड एक्सपो” जैसी पहलें हो रही हैं।
ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर भारतीय मिलेट्स आधारित उत्पादों की बिक्री लगातार बढ़ रही है।
बड़ी होटल चेन और एयरलाइंस ने भी अपने मेन्यू में मिलेट व्यंजन शामिल करना शुरू कर दिया है।
यह दर्शाता है कि श्री अन्न अब केवल “किसान का अन्न” नहीं बल्कि “देश का गर्व” बन चुका है।

चुनौतियाँ : उत्पादन से उपभोक्ता तक

हालांकि मिलेट मिशन की दिशा सही है, लेकिन कुछ चुनौतियाँ अब भी बनी हुई हैं —

  • प्रसंस्करण और वैल्यू चेन की सीमित उपलब्धता

  • मार्केटिंग और ब्रांडिंग की कमी

  • उपभोक्ताओं में जागरूकता का अभाव

  • किसानों के लिए उचित मूल्य सुनिश्चित करने की आवश्यकता

इन चुनौतियों के समाधान के लिए सरकार, निजी क्षेत्र और नागरिक समाज को मिलकर काम करना होगा।

श्री अन्न — भारत की नई खाद्य क्रांति

“श्री अन्न” केवल भोजन नहीं, बल्कि भारत के आत्मनिर्भरता अभियान की प्रतीक है।
यह देश को पोषण, रोजगार और पर्यावरण सुरक्षा तीनों प्रदान करता है।
प्रधानमंत्री मोदी के शब्दों में —

श्री अन्न हमारे किसानों की मेहनत, मातृभूमि की समृद्धि और आने वाली पीढ़ियों के स्वास्थ्य का प्रतीक है।”

भारत का लक्ष्य अब स्पष्ट है —
हर थाली में श्री अन्न, हर किसान के खेत में समृद्धि।

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