🌾 ग्लोबल दक्षिण के कृषि नवाचार पर ICRISAT का उच्च-स्तरीय वेबिनार

ICRISAT ने दक्षिण-दक्षिण सहयोग दिवस 2025 पर आयोजित कृषि नवाचार वेबिनार

संयुक्त राष्ट्र दक्षिण-दक्षिण सहयोग दिवस 2025 पर ICRISAT ने आयोजित किया उच्च-स्तरीय वेबिनार, ग्लोबल दक्षिण के लिए कृषि नवाचार पर केंद्रित चर्चा

हैदराबाद, संयुक्त राष्ट्र दक्षिण-दक्षिण सहयोग दिवस 2025 के अवसर पर ICRISAT (अंतर्राष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान अर्ध शुष्क उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों हेतु) ने अपने ICRISAT Center of Excellence for South–South Cooperation in Agriculture (ISSCA) के तत्वावधान में “वैश्विक दक्षिण के लिए फसल सुधार और उत्पादन प्रौद्योगिकियों हेतु स्केलेबल समाधान” विषय पर एक उच्च-स्तरीय वेबिनार का आयोजन किया। इस वेबिनार में 1000 से अधिक प्रतिभागियों और वैश्विक कृषि क्षेत्र के प्रमुख नेताओं ने भाग लिया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता Himanshu Pathak, महानिदेशक, ICRISAT ने की। अपने उद्घाटन भाषण में उन्होंने वैश्विक दक्षिण की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि “यह केवल वैज्ञानिक उपलब्धियों की बात नहीं है, बल्कि इस बात की भी है कि हम एक-दूसरे से कैसे साझा करें और प्रेरणा लें।”

ग्लोबल विशेषज्ञों के संदेश

  • Qu Dongyu, महानिदेशक, FAO ने ICRISAT को बधाई देते हुए कहा, “हम सभी को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई क्षेत्र, कोई देश, कोई समुदाय और कोई किसान पीछे न छूटे। वैश्विक दक्षिण की नवाचार क्षमता अपार है, और हमें इन्हें तेजी व समानता के साथ आगे बढ़ाना होगा।”

  • Ismahane Elouafi, कार्यकारी प्रबंध निदेशक, CGIAR ने कहा, “दक्षिण-दक्षिण सहयोग हमारे कार्य का केंद्र है। हम अपने साझेदारों के साथ मिलकर ऐसी तकनीकें विकसित कर रहे हैं जो राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को पूरा करते हुए किसानों तक पहुंचाई जा रही हैं।”

  • M.L. Jat, सचिव, Department of Agricultural Research and Education (DARE) एवं महानिदेशक, Indian Council of Agricultural Research (ICAR) ने कहा, “दक्षिण-दक्षिण सहयोग के माध्यम से पहले से सिद्ध समाधानों को विभिन्न क्षेत्रों में अनुकूलित कर स्केल-अप किया जा सकता है। भारत इस दिशा में पूरी तरह प्रतिबद्ध है।”

  • Sachin Kumar Sharma, महानिदेशक, Research and Information System for Developing Countries (RIS) ने कहा, “वैश्विक दक्षिण समाधान का इंतजार नहीं करता, वह खुद उन्हें गढ़ता है। हमें ऐसे प्लेटफॉर्म बनाने होंगे जो नवाचार को तेजी से सीमाओं के पार पहुंचा सकें।”

CGIAR और अन्य वैश्विक संस्थानों के विचार

  • Aly Abousabaa, महानिदेशक, ICARDA ने कहा कि स्थानीय स्तर पर विकसित नवाचार सबसे प्रासंगिक और टिकाऊ होते हैं।

  • Yvonne Pinto, महानिदेशक, IRRI ने सहयोगात्मक नवाचार को खाद्य व पोषण सुरक्षा के लिए अहम बताया।

  • Bram Govaerts, महानिदेशक, CIMMYT ने “फूड सॉवरेन्टी 2.0” की अवधारणा पर बल देते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन, संघर्ष और व्यापार व्यवधान जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए सीमाओं के पार सहयोग आवश्यक है।

तकनीकी सत्र में नवाचारों की प्रस्तुति

तकनीकी सत्र में CGIAR और राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली (NARS) के वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने भाग लिया, जिनमें Devendra Kumar Yadava (ICAR), Hugo Campos (CIP), Becerra Lopez-Lavalle Augusto (ICARDA), Sankalp Bhosale (IRRI) और Yashpal S. Saharawat (IFDC) शामिल रहे। इन विशेषज्ञों ने फसल सुधार, प्रजनन नवाचार, लचीलापन निर्माण और सतत उत्पादन तकनीकों पर अपने अनुभव साझा किए।

अंत में, Stanford Blade, उप महानिदेशक (अनुसंधान व नवाचार), ICRISAT ने ICRISAT Center of Excellence for South–South Cooperation in Agriculture (ISSCA) प्लेटफॉर्म का परिचय देते हुए बताया कि कैसे ICRISAT ने गर्मी सहनशील अरहर किस्म, ड्रायलैंड अकादमी की स्थापना तथा लचीली खेती प्रणालियों पर अग्रणी कार्य कर वैश्विक दक्षिण में योगदान दिया है। उन्होंने प्रतिभागियों के साथ संवादात्मक प्रश्नोत्तर सत्र का संचालन भी किया।

चित्र सौजन्य ICRISAT सोशल मीडिया

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