🥥 कर्नाटक दौरे पर जाएंगे कृषि मंत्री, किसानों से करेंगे संवाद
सुपारी किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए कृषि मंत्री ने की उच्चस्तरीय बैठक
नई दिल्ली, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में बुधवार को कृषि भवन, नई दिल्ली में एक महत्वपूर्ण उच्चस्तरीय बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में भारी उद्योग मंत्री एच.डी. कुमारास्वामी, केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी, राज्य मंत्री, सुपारी उत्पादक क्षेत्रों से आए सांसद तथा विभिन्न विभागों और मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। बैठक में सुपारी किसानों की समस्याओं, उत्पादन और विपणन से जुड़े मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई।
🌿 WHO रिपोर्ट पर उठी शंका
बैठक की शुरुआत सुपारी पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट को लेकर हुई चर्चा से हुई। केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि इस रिपोर्ट से कर्नाटक की सुपारी को लेकर भ्रम और भ्रांतियां उत्पन्न हो गई हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस विषय पर ICAR और वैज्ञानिकों की टीम वैज्ञानिक परीक्षण कर रही है और बहुत जल्द यह स्पष्ट किया जाएगा कि सुपारी कैंसरजन्य नहीं है। उन्होंने टीम को समयबद्ध तरीके से रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए।
🥥 सुपारी का सांस्कृतिक और औषधीय महत्व
चौहान ने कहा कि भारत में सुपारी का उपयोग प्राचीन काल से धार्मिक और सामाजिक कार्यों में होता आया है। हर शुभ अवसर पर सुपारी का उपयोग परंपरा का हिस्सा है। उन्होंने बताया कि सुपारी में मौजूद कई एल्कलॉइड्स का उपयोग आयुर्वेदिक औषधियों और पशु चिकित्सा दवाओं में भी किया जाता है। यही कारण है कि सुपारी को केवल एक फसल ही नहीं बल्कि महत्वपूर्ण व्यावसायिक और सांस्कृतिक उत्पाद माना जाता है।
बीमारियों और आयात पर गंभीर चर्चा
बैठक में सुपारी के वृक्षों को नुकसान पहुंचाने वाली एरोलिफ जैसी बीमारियों के नियंत्रण पर चर्चा हुई। कृषि मंत्री ने कहा कि वैज्ञानिकों की टीम इस पर काम कर रही है। साथ ही किसानों को क्लीन प्लांट उपलब्ध कराने और वायरस से हुई क्षति की भरपाई के लिए क्षतिपूर्ति पर भी विचार किया जा रहा है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सुपारी किसानों को अवैध आयात, नमी की समस्या, और छोटी-बड़ी सुपारी के दामों में अंतर जैसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इन सभी मुद्दों पर सरकार ने गंभीरता से विचार किया है और समयबद्ध समाधान निकालने का संकल्प लिया गया है।
💰किसानों और उद्योग के हित सुरक्षित
कृषि मंत्री ने आश्वासन दिया कि किसानों और सुपारी उद्योग के हित पूरी तरह सुरक्षित रहेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की आय बढ़ाने और उत्पादन को सुरक्षित बनाने के लिए हरसंभव कदम उठा रही है। श्री चौहान ने यह भी घोषणा की कि वे स्वयं वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की टीम के साथ कर्नाटक का दौरा करेंगे और किसानों से संवाद कर जमीनी स्थिति का जायजा लेंगे।
पृष्ठभूमि: भारत में सुपारी पैदावार की स्थिति
🌍भारत दुनिया का सबसे बड़ा सुपारी उत्पादक देश है और कुल वैश्विक उत्पादन में उसकी 63% हिस्सेदारी है।
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वर्ष 2023-24 में देशभर में 9.49 लाख हेक्टेयर क्षेत्र से लगभग 14 लाख टन सुपारी का उत्पादन हुआ।
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कर्नाटक 6.76 लाख हेक्टेयर क्षेत्र से 10 लाख टन उत्पादन के साथ पहले स्थान पर है।
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इसके बाद केरल, असम, मेघालय, मिजोरम, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु का स्थान है।
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सुपारी उत्पादन का मूल्य वर्तमान कीमतों पर 58,664 करोड़ रुपये आँका गया है।
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अनुमान है कि देशभर में करीब 60 लाख किसान सुपारी की खेती पर निर्भर हैं।
वर्ष 2023-24 में भारत ने 400 करोड़ रुपये मूल्य की 10,637 टन सुपारी का निर्यात किया। इसके प्रमुख गंतव्य हैं – यूएई, वियतनाम, नेपाल, मलेशिया और मालदीव।
🚜सरकार के प्रमुख कदम
सुपारी किसानों और उद्योग को मजबूत बनाने के लिए भारत सरकार लगातार प्रयासरत है।
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सुपारी के आयात पर 100% आयात शुल्क लगाया गया है।
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सुपारी का न्यूनतम आयात मूल्य (MIP) 251 रुपये प्रति किलो से बढ़ाकर 351 रुपये प्रति किलो कर दिया गया।
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FSSAI ने अपने क्षेत्रीय कार्यालयों को निर्देश दिया है कि आयातित सुपारी की गुणवत्ता मानकों की कड़ाई से जांच की जाए।
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20 अक्टूबर 2022 को सुपारी की बीमारियों की रोकथाम और प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय वैज्ञानिक समिति (NSC) का गठन किया गया।
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वित्तीय वर्ष 2024-25 में कर्नाटक को 3700 लाख रुपये तथा 2025-26 में 860.65 लाख रुपये की राशि MIDH योजना के तहत सुपारी से जुड़ी परियोजनाओं के लिए जारी की गई।
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सुपारी की बीमारियों जैसे पीली पत्ती रोग (YLD) और लीफ स्पॉट रोग (LSD) की रोकथाम हेतु 6.316 करोड़ रुपये की वैज्ञानिक प्रदर्शन परियोजना 2024-27 के लिए स्वीकृत की गई है।
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सुपारी और मानव स्वास्थ्य पर शोध के लिए 9.99 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जिसमें राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय 16 एजेंसियां मिलकर काम कर रही हैं।
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किसानों की आय बढ़ाने के लिए सुपारी एवं मसाला विकास निदेशालय और ICAR-CPCRI के सहयोग से फ्रंटलाइन प्रदर्शन कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।