🌿 प्राकृतिक खेती की ताकत – जीवामृत

“किसानों को मिली नई सौगात – जीवामृत की आसान विधि”

किसानों के लिए बड़ी खबर: अब प्राकृतिक खेती में जीवनदायिनी “जीवामृत” होगा आसान

नई दिल्ली। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय (Ministry of Agriculture and Farmers Welfare) किसानों के बीच प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। इसी कड़ी में किसानों को “जीवामृत” बनाने की सरल विधि और आवश्यक सामग्री की जानकारी दी जा रही है। जीवामृत को जैविक खेती में एक महत्वपूर्ण कारक माना जाता है, जो मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने और फसलों की उत्पादकता सुधारने में मदद करता है।

जीवामृत बनाने के लिए आवश्यक सामग्री

मंत्रालय द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, जीवामृत तैयार करने के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:

  • देसी गाय का गोबर – 10 किलो

  • देसी गाय का मूत्र – 8 से 10 लीटर

  • गुड़ – 1 से 2 किलो

  • बेसन – 1 से 2 किलो

  • पानी – 180 लीटर

  • पेड़ के नीचे की मिट्टी – 1 किलो

जीवामृत बनाने की विधि

इन सामग्रियों को एक प्लास्टिक ड्रम में पानी के साथ अच्छी तरह मिलाकर घोल तैयार किया जाता है। इसके बाद इसे छाया में ढककर 2 दिन तक सड़ने दिया जाता है। इस घोल को प्रतिदिन सुबह-शाम करीब 2 मिनट तक हिलाना आवश्यक है।

  • गर्मियों में 7 दिन और

  • सर्दियों में 8 से 15 दिन तक
    इसे उपयोग में लाया जा सकता है।

किसानों के लिए फायदे

विशेषज्ञों का कहना है कि जीवामृत के प्रयोग से मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि होती है, सूक्ष्मजीव सक्रिय रहते हैं और फसलें अधिक स्वस्थ एवं रोगमुक्त होती हैं। यह रासायनिक खाद का सस्ता व पर्यावरण अनुकूल विकल्प है।

किसान भाई किसी भी प्रकार की जानकारी और सहायता के लिए किसान कॉल सेंटर 1800-180-1551 पर सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक संपर्क कर सकते हैं।

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