तकनीक से तरक्की की राह: स्मार्ट बागवानी की ओर बढ़ता बिहार

बिहार के किसान अब डिजिटल खेती की ओर

बिहार में तकनीक आधारित बागवानी की ओर बड़ा कदम: स्मार्ट हार्टिकल्चर से बदलेगी खेती की तस्वीर
प्रो. (डॉ.) एस.के. सिंह

समस्तीपुर–बिहार की कृषि पृष्ठभूमि पर तकनीकी बदलाव की नई लहर दस्तक दे चुकी है। जहां देश के कई राज्य स्मार्ट हार्टिकल्चर यानी डिजिटल बागवानी की ओर अग्रसर हो चुके हैं, वहीं अब बिहार के किसान भी इस दिशा में ठोस कदम बढ़ा रहे हैं। स्मार्ट हार्टिकल्चर का आशय तकनीक आधारित खेती से है, जिसमें आधुनिक डिजिटल साधनों की मदद से बागवानी को अधिक लाभकारी, वैज्ञानिक, सटीक और पर्यावरण अनुकूल बनाया जा रहा है।

स्मार्ट बागवानी बिहार जैसे कृषि-प्रधान राज्य के लिए क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है। इसके ज़रिये सीमित संसाधनों का बेहतर उपयोग करते हुए अधिक उपज और लाभ प्राप्त किया जा सकता है

क्या है स्मार्ट हार्टिकल्चर?

स्मार्ट हार्टिकल्चर या डिजिटल बागवानी एक ऐसी प्रणाली है जिसमें खेती के हर चरण में उन्नत तकनीकों का उपयोग किया जाता है। इसमें सेंसर, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), मशीन लर्निंग (ML), रिमोट मॉनिटरिंग, ऑटोमेटेड सिंचाई, और डेटा एनालिटिक्स जैसी तकनीकों का प्रयोग कर पौधों की स्थिति की निगरानी और बेहतर निर्णय लिया जाता है।

तकनीकों का उपयोग कैसे करता है स्मार्ट हार्टिकल्चर?

Photo:AI
  1. सेंसर आधारित खेती: मिट्टी की नमी, तापमान, पोषक तत्वों और पर्यावरणीय परिस्थितियों की निगरानी के लिए खेतों में सेंसर लगाए जाते हैं, जिससे पौधों की आवश्यकतानुसार ही संसाधनों की आपूर्ति होती है।

  2. IoT और स्मार्ट डिवाइसेज: इन डिवाइसेज़ की मदद से सभी उपकरण एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं और किसान अपने खेत की स्थिति मोबाइल या कंप्यूटर के माध्यम से कहीं से भी देख और नियंत्रित कर सकते हैं।

  3. ऑटोमेटेड सिंचाई प्रणाली: मौसम और मिट्टी की जानकारी के आधार पर सिंचाई अपने आप होती है, जिससे जल की बचत होती है।

  4. AI और मशीन लर्निंग: फसलों की स्थिति का विश्लेषण कर किसी भी बीमारी, कीट या पोषण की समस्या की पूर्व जानकारी प्राप्त होती है, जिससे समय रहते इलाज संभव होता है।

  5. वर्टिकल फार्मिंग और हाइड्रोपोनिक्स: सीमित स्थान में एलईडी लाइटिंग और जल आधारित खेती पद्धति से अधिक उत्पादन संभव है।

  6. मोबाइल एप्स और रिमोट मॉनिटरिंग: किसान मोबाइल एप्स के जरिए खेती पर नजर रख सकते हैं, अलर्ट पा सकते हैं और नियंत्रण भी कर सकते हैं।

  7. रोबोटिक सिस्टम: पौधारोपण, कटाई और छंटाई जैसे कार्यों में रोबोटिक उपकरणों का प्रयोग किया जा सकता है जिससे श्रम की बचत होती है।

  8. ऊर्जा प्रबंधन प्रणाली: सौर ऊर्जा और स्मार्ट लाइटिंग का प्रयोग कर बिजली की लागत घटाई जा सकती है।

स्मार्ट बागवानी के प्रमुख लाभ

  • उत्पादन में वृद्धि: डेटा आधारित निर्णय से अधिक और बेहतर गुणवत्ता की फसल संभव है।

  • संसाधनों की बचत: जल, उर्वरक और कीटनाशक का सटीक प्रयोग।

  • जलवायु परिवर्तन से सुरक्षा: तकनीकी पूर्वानुमान और समय रहते कार्रवाई से खेती सुरक्षित रहती है।

  • रोग एवं कीटों की समय पर पहचान: सेंसर और AI से बारीकी से निगरानी संभव।

  • तत्काल निर्णय की सुविधा: वास्तविक समय की जानकारी मिलने से तुरंत कार्रवाई संभव होती है।

  • कमी हुई लागत और श्रम: स्वचालित प्रणालियों से मानव श्रम और लागत में कमी आती है।

  • टिकाऊ खेती: प्राकृतिक संसाधनों के न्यूनतम उपयोग से पर्यावरण संरक्षण संभव होता है।

बिहार के किसानों के लिए एक अवसर

यह आवश्यक है कि बिहार के किसान और कृषि उद्यमी भी स्मार्ट हार्टिकल्चर की दिशा में आगे बढ़ें। इसके लिए विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान केंद्र, और राज्य सरकार मिलकर प्रशिक्षण, प्रदर्शन परियोजनाएं और वित्तीय सहायता के माध्यम से किसानों को जागरूक करें। स्थानीय स्तर पर स्वदेशी तकनीकों का समावेश कर स्मार्ट बागवानी को अधिक सुलभ और किफायती बनाया जा सकता है।

सारांश

स्मार्ट हार्टिकल्चर न केवल खेती को लाभकारी बनाता है, बल्कि उसे वैज्ञानिक, पर्यावरण-संवेदनशील और टिकाऊ भी बनाता है। यह कृषि क्षेत्र को 21वीं सदी की चुनौतियों के लिए तैयार करता है और किसानों को आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर करता है। यह आवश्यक है कि नीति-निर्माता, वैज्ञानिक समुदाय और किसान एकजुट होकर डिजिटल बागवानी को जन आंदोलन बनाएं।

लेखक परिचय

प्रो. (डॉ.) एस.के. सिंह
विभागाध्यक्ष, पौध रोग विज्ञान एवं नेमेटोलॉजी विभाग,
पूर्व सह निदेशक अनुसंधान एवं प्रधान अन्वेषक, अखिल भारतीय फल अनुसंधान परियोजना
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर – 848125, बिहार
📧 ईमेल: sksraupusa@gmail.com / sksingh@rpcau.ac.in

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