ईबीपी कार्यक्रम: 2025 तक 20% इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने सहकारी चीनी मिलों (सीएसएम) के लिए एक नई इथेनॉल योजना अधिसूचित की है, जिसके तहत गन्ना-आधारित मौजूदा फीडस्टॉक इथेनॉल संयंत्रों को मल्टी-फीडस्टॉक संयंत्रों में बदला जाएगा। इस योजना का उद्देश्य न केवल मिलों की वित्तीय स्थिरता को बढ़ाना है, बल्कि देश में इथेनॉल उत्पादन को भी प्रोत्साहित करना है।
गन्ना आधारित संयंत्र अब अन्य अनाजों से बनाएंगे इथेनॉल
अब तक अधिकांश चीनी मिलें केवल गन्ने से उत्पादित शीरे (मोलासेस) से इथेनॉल बनाती थीं, लेकिन यह उत्पादन केवल गन्ना पेराई के मौसम में ही संभव होता था, जो साल में लगभग 4-5 महीने ही रहता है। इससे मिलों की उत्पादन क्षमता सीमित रहती थी।
नई योजना के तहत, इन संयंत्रों को मक्का और क्षतिग्रस्त अनाज (डैमेज्ड फूड ग्रेन – डीएफजी) का उपयोग करने के लिए मल्टी-फीडस्टॉक आधारित संयंत्रों में बदला जाएगा। इससे चीनी मिलें पूरे वर्ष इथेनॉल का उत्पादन कर सकेंगी, जिससे उनकी दक्षता और आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
वित्तीय सहायता: ब्याज अनुदान से मदद
सरकार ने इस योजना के तहत वित्तीय सहायता देने का भी निर्णय लिया है। संशोधित इथेनॉल ब्याज अनुदान योजना के तहत:
- सहकारी चीनी मिलों को बैंकों या वित्तीय संस्थानों द्वारा दिए गए ऋणों पर 6% वार्षिक ब्याज या बैंक द्वारा तय किए गए ब्याज दर का 50% (जो भी कम हो) का ब्याज अनुदान दिया जाएगा।
- यह सुविधा एक वर्ष की स्थगन अवधि सहित कुल पांच वर्षों तक मिलेगी।
इस योजना से चीनी मिलों को कम लागत पर वित्तीय संसाधन प्राप्त होंगे, जिससे वे मल्टी-फीडस्टॉक आधारित संयंत्र स्थापित करने में सक्षम होंगी।
इथेनॉल मिश्रण नीति: आत्मनिर्भर भारत की ओर एक और कदम
सरकार देश में इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम को बढ़ावा दे रही है। इस कार्यक्रम का लक्ष्य 2025 तक पेट्रोल में 20% इथेनॉल मिश्रण करना है। इससे भारत की ईंधन आवश्यकताओं में कमी आएगी, विदेशी मुद्रा की बचत होगी और पर्यावरण को भी लाभ मिलेगा।
इस नीति के तहत सरकार पहले ही जुलाई 2018 से अप्रैल 2022 तक विभिन्न इथेनॉल ब्याज छूट योजनाओं को अधिसूचित कर चुकी है। अब सहकारी चीनी मिलों के लिए नई योजना लाकर सरकार ने इस दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
नई योजना से चीनी मिलों को कैसे होगा फायदा?
- वर्षभर उत्पादन: केवल गन्ने पर निर्भर न रहकर, मक्का और डीएफजी का उपयोग करने से चीनी मिलें पूरे साल इथेनॉल उत्पादन कर सकेंगी।
- बेहतर आर्थिक स्थिति: ब्याज अनुदान से वित्तीय लागत कम होगी, जिससे चीनी मिलों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी।
- इंधन आयात पर निर्भरता घटेगी: पेट्रोल में 20% इथेनॉल मिश्रण से देश की विदेशी मुद्रा बचत होगी और भारत की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होगी।
- पर्यावरणीय लाभ: इथेनॉल मिश्रण से कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी, जिससे वायु प्रदूषण कम होगा।
सरकार की यह नई योजना सहकारी चीनी मिलों को सशक्त बनाएगी, जिससे वे अपने मौजूदा इथेनॉल संयंत्रों को उन्नत कर सकेंगी। इससे देश में इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे भारत को आत्मनिर्भर बनने में सहायता मिलेगी और पर्यावरण को भी लाभ होगा।