मशरुम की बढ़ती मांग ने बदली कई किसानों की जिंदगी

 

अंतरराष्ट्रीय बाजारों में मशरूम की तेजी से बढ़ती मांग 

 

मशरूम की उपज भारत में एक तेजी से बढ़ता हुआ व्यवसाय है, जो कृषि आधारित उद्यमिता के लिए एक महत्वपूर्ण विकल्प देता है। बदलती जीवनशैली, पोषण के प्रति जागरूकता और शाकाहारी विकल्पों की बढ़ती मांग के चलते मशरूम की खपत में निरंतर वृद्धि हो रही है। इसे “सुपरफूड” माना जाता है क्योंकि यह प्रोटीन, विटामिन, और खनिजों से भरपूर होता है, साथ ही इसमें वसा और कैलोरी की मात्रा कम होती है।

संभावनाएं और अवसर

भारत में मशरूम उत्पादन के लिए जलवायु और संसाधनों की विविधता इसे एक अनुकूल व्यवसाय बनाती है। खासकर बटन मशरूम, ऑयस्टर मशरूम और शिटाके मशरूम की खेती बड़े पैमाने पर हो रही है। छोटे किसानों के लिए यह कम लागत और अधिक लाभ देने वाला व्यवसाय है क्योंकि इसके लिए कम जगह और संसाधनों की आवश्यकता होती है।

मशरूम का उपयोग खाद्य उद्योग, औषधीय उत्पादों, और जैविक खाद बनाने में भी किया जाता है। इसके अलावा, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में मशरूम की मांग तेजी से बढ़ रही है।

चुनौतियां

हालाँकि, इस व्यवसाय में कुछ चुनौतियां भी हैं। किसानों को तकनीकी ज्ञान की कमी, सही विपणन रणनीतियों का अभाव और उत्पादन के दौरान रोगों का प्रबंधन करना मुश्किल हो सकता है। इसके लिए सटीक ट्रेनिंग और समर्थन की आवश्यकता है।

सरकार और संगठनों की भूमिका

सरकार और कृषि संगठनों द्वारा मशरूम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं और सब्सिडी प्रदान की जा रही हैं। कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) और नाबार्ड जैसे संस्थान प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता उपलब्ध कराते हैं।

आइए जानते हैं मशरूम उत्पादन में कुछ सफल किसानों की कहानियां:

  1. प्रेरणा स्रोत: चम्पा देवी, हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश के सोलन की रहने वाली चम्पा देवी ने अपनी मेहनत के बल पर मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में नाम कमाया है। पारंपरिक खेती से होने वाली कम आय ने उन्हें वैकल्पिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण लिया और बटन मशरूम की खेती शुरू की। आज उनकी खेती सालाना लाखों रुपये का मुनाफा देती है। वे कई अन्य महिलाओं को भी प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बना रही हैं।

  1. सफलता की मिसाल: सुनील कुमार, उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के सुनील कुमार ने 2015 में मशरूम की खेती शुरू की। शुरुआत में उन्होंने ऑयस्टर मशरूम की खेती छोटे स्तर पर की, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने उत्पादन बढ़ाकर बाजार में पहचान बनाई। उनकी मशरूम की आपूर्ति स्थानीय बाजारों और होटलों में होती है। उन्होंने अपना ब्रांड भी स्थापित किया है और आज वे हर महीने 50,000 रुपये से अधिक कमा रहे हैं।

  1. नवप्रवर्तन के प्रतीक: रजनीश शर्मा, हरियाणा

हरियाणा के करनाल जिले के रजनीश शर्मा ने आईटी सेक्टर की नौकरी छोड़कर मशरूम उपज में करियर बनाया। उन्होंने आधुनिक तकनीक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मशरूम की खेती शुरू की। शिटाके और ऑयस्टर मशरूम की खेती में उनकी विशेषज्ञता है। उनकी सफलता के कारण वे न केवल आत्मनिर्भर हुए हैं, बल्कि वे किसानों को प्रशिक्षण और मार्गदर्शन भी प्रदान कर रहे हैं।

  1. ग्रामीण महिलाओं के लिए आदर्श: सरोज देवी, राजस्थान

राजस्थान के अजमेर जिले की सरोज देवी ने मशरूम उत्पादन के जरिए महिलाओं के सशक्तिकरण की मिसाल पेश की है। उन्होंने अपने घर में छोटे स्तर पर मशरूम उगाना शुरू किया और धीरे-धीरे इसे एक व्यवसाय में बदल दिया। आज उनकी मशरूम इकाई में 20 से अधिक महिलाएं काम करती हैं, और यह इकाई हर साल लाखों का मुनाफा कमा रही है।

  1. युवा प्रेरणा: अमन दीप सिंह, पंजाब

पंजाब के अमन दीप सिंह ने कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद मशरूम उपज में कदम रखा। उन्होंने जैविक मशरूम उत्पादन में विशेषज्ञता हासिल की और अंतरराष्ट्रीय बाजार तक अपनी पहुंच बनाई। उनके उत्पादों को “ऑर्गेनिक मशरूम” के नाम से ब्रांडिंग मिली है।हालांकि मशरुम की पैदावार में कई चुनौतियां भी आती है।

 राजीव कुमार

 

 

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