कच्चे जूट के न्यूनतम समर्थन मूल्य 2025-26 को मिली मंजूरी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने विपणन सीजन 2025-26 के लिए कच्चे जूट के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को मंजूरी प्रदान की है। इस फैसले के तहत कच्चे जूट (टीडी-3 श्रेणी) का एमएसपी ₹5,650 प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। यह निर्णय जूट किसानों को उनकी उत्पादन लागत पर 66.8% अधिक लाभ सुनिश्चित करेगा और जूट उत्पादन को बढ़ावा देगा।
मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:
2025-26 सीजन के लिए कच्चे जूट का एमएसपी:
- एमएसपी: ₹5,650 प्रति क्विंटल (टीडी-3 श्रेणी)।
- वृद्धि: 2024-25 सीजन की तुलना में ₹315 प्रति क्विंटल अधिक।
- उत्पादन लागत से वापसी: औसत लागत से 66.8% अधिक।
ऐतिहासिक वृद्धि:
- 2014-15: ₹2,400 प्रति क्विंटल।
- 2025-26: ₹5,650 प्रति क्विंटल (2.35 गुना वृद्धि)।
- वृद्धि: ₹3,250 प्रति क्विंटल।
किसानों और उद्योग पर प्रभाव:
- लाभान्वित किसान: लगभग 40 लाख परिवार।
- मुख्य उत्पादक राज्य: पश्चिम बंगाल (82% योगदान), असम और बिहार (9% प्रत्येक)।
- रोजगार: 4 लाख श्रमिक जूट मिलों और व्यापार में प्रत्यक्ष रूप से कार्यरत।
नोडल एजेंसी:
- भारतीय पटसन निगम (जेसीआई) मूल्य समर्थन संचालन जारी रखेगा।
- हानि की भरपाई केंद्र सरकार करेगी।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य:
- 2014-15 से 2024-25 तक जूट किसानों को ₹1,300 करोड़ एमएसपी के रूप में दिए गए, जो 2004-05 से 2013-14 की अवधि (₹441 करोड़) से तीन गुना से अधिक है।
- 2024-25 में 1.7 लाख किसानों से जूट की खरीद की गई।
कच्चे जूट के एमएसपी में वृद्धि से जूट किसानों की आय में सुधार होगा, और यह पारंपरिक जूट उद्योग को स्थिरता और विकास की दिशा में ले जाएगा। यह कदम सरकार की “किसान-हितैषी नीतियों” का हिस्सा है, जो कृषि क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।